उत्तर प्रदेश में 2005 से अब तक 150 से ज्यादा फर्जी मुठभेड़ में निर्मम हत्या की गई है और इनमें किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज नहीं हुआ है। इसी तरह चित्रकूट में भालचंद्र को डकैत बनाकर पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में सुनियोजित ढंग से मारा है।
यह दावा गुरुवार को मुठभेड़ में मारे गए भालचंद की जांच के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की टीम ने पड़मनिया गांव (सतना मध्य प्रदेश) पहुंचकर परिवार के सदस्यों व चश्मदीद गवाहों के बयान लेने के बाद बांदा में कही।
मानवाधिकार टीम के कार्यकर्ता विपुल कुमार ने कहा कि यह घटना पुलिस द्वारा सुनियोजित एवं असंवैधानिक तरीके से की गई हत्या है। जो बहुत ही निर्ममता एवं अमानवीय तरीके से क्रूरता पूर्वक की गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट व परिवार के बयानों से स्पष्ट होता है कि पुलिस बल ने कानून के दायरे से बाहर आकर अनुचित व अत्याधिक बल का प्रयोग करते हुए कानून का उल्लंघन किया है। फैक्ट फंडिंग की टीम में मानवाधिकार कार्यकर्ता विपुल कुमार, अभिलाषा चौधरी व सामाजिक कार्यकर्ता राजा भैया तथा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मंगला वर्मा शामिल हैं।
आयोग ने 18 बिंदुओं पर विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी
अभिलाषा चौधरी का कहना है कि इस मामले को हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है जिसमें आयोग ने 18 बिंदुओं पर विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है, किंतु आयोग द्वारा निर्देशित दस्तावेज पुलिस अभी तक जमा नहीं करा पाई है। उन्होंने बताया कि आयोग ने पुनः पुलिस को 04 सप्ताह और समय देते हुए विस्तृत रिपोर्ट जमा कराने के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में अक्सर पुलिस अपनी बर्बरता और गैर कानूनी गतिविधियों को छुपाने के लिए दस्तावेजों को छुपाने की कोशिश करती है।
फर्जी मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच जरूरी
उनके मुताबिक उत्तर प्रदेश में 2017 से अब तक 150 से ज्यादा फर्जी मुठभेड़ों में निर्मम हत्याएं हुई है। जिसमें किसी भी केस में पुलिस के ऊपर रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है न ही इन मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच की गई है। ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है, जिससे लोगों का कानून पर भरोसा बना रहे।
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बताते चलें कि, अभी हाल ही में भालचंद फर्जी मुठभेड़ मामले में चित्रकूट के एसपी समेत 17 पुलिसकर्मियों के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर मुकदमा पंजीकृत किया गया है।