आज से करीब पांच साल पहले पनामा पेपर लीक ने देश-दुनिया में खूब बवाल मचाया था। इसमें पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समते दुनियाभर के कई बड़े शख्सियत के नाम कर चोरी के मामले की वजह से सामने आए थे। तमाम भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ ही इस मुद्दे को भी अपना मजबूत राजनीतिक हथियार बनाते हुए क्रिकेट की दुनिया से राजनीति में एंट्री करने वाले इमरान खान नया पाकिस्तान का सपना दिखाकर सत्ता हासिल की थी। लेकिन अब पंडोरा पेपर्स ली ने इमरान सरकार की पोल खोल दी है। जिसमें 700 पाकिस्तानियों के साथ ही इमरान के करीबियों का नाम भी शामिल है वहीं भारत से भी क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर व उद्योगपति अनिल अंबानी को लेकर भी बड़ा खुलासा हुआ है। ऐसे में आइए जानके हैं कि क्या है पंडोरा पेपर्स लीक मामला और क्या बड़ा खुलासा सामने आया है।
पंडोरा पेपर्स क्या हैं?
पंडोपा पेपर्स लीक दुनियाभर के 11.9 मिलियन लीक हुई फाइलें हैं। जिसमें छिपी हुई संपत्ति, टैक्स से बचने के तरीकों, दुनिया के कुछ अमीर और शक्तिशाली लोगों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा हुआ है। 117 देशों के 600 से ज्यादा पत्रकारों और 140 मीडिया ऑर्गेनाइजेशन ने कई महीनों तक लगातार काम किया और 14 अलग अलग स्रोतों से दस्तावेजों को खंगालते हुए तमाम खुलासे किए हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने रविवार को ‘पंडोरा पेपर’ का खुलासा किया है। पंडोपा पेपर्स लीक में कई देशों की बड़ी हस्तियों के नाम हैं जिसमें भारत और पाकिस्तान के भी कई लोग शामिल हैं। भारत के सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी के साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान व उनके करीबियों का नाम भी इसमें आया है।
पंडोरा पेपर्स से क्या पता चलता है?
पंडोरा पेपर में विश्व भर में उच्च पदों पर आसीन लोगों के गुप्त वित्तीय लेन-देन का खुलासा किया गया है। पंडोरा पेपर्स की फाइलों से पता चलता है कि कैसे दुनिया के कुछ अमीर, प्रसिद्ध और प्रख्यात व्यक्तियों जिनमें से कई पहले से ही जांच एजेंसियों के रडार पर थे, उन्होंने अपने धन को छुपाने के लिए गुप्त कंपनियों का इस्तेमाल किया।
पाकिस्तान में मचा सियासी बवाल
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी लोगों और कुछ मंत्रियों समेत 700 से अधिक लोगों के नाम पंडोरा पेपर मामले में सामने आए हैं। टेलीविजन समाचार चैनल जियो न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने ‘पंडोरा पेपर’ का खुलासा किया, जिसके अनुसार वित्त मंत्री शौकत तारिन, जल संसाधन मंत्री मूनिस इलाही, सांसद फैसल वावड़ा, उद्योग और उत्पादन मंत्री खुसरो बख्तियार के परिवार समेत अन्य लोगों के विदेशी कंपनियों से लेन-देन के संबंध थे। इस मामले में कुछ सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों, व्यवसायियों और मीडिया कंपनी के मालिकों के नाम भी सामने आए हैं।
330 से अधिक नेताओं के नाम
इन गुप्त खातों के लाभार्थियों के रूप में पहचाने गए 330 से अधिक वर्तमान और पूर्व नेताओं में जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस, केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा और इक्वाडोर के राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो के अलावा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी शामिल हैं। रिपोर्ट में जिन अरबपतियों के नाम सामने आए हैं, उनमें तुर्की के कारोबारी एर्मन इलिकैक और सॉफ्टवेयर निर्माता रेनॉल्ड्स एंड रेनॉल्ड्स के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी रॉबर्ट टी. ब्रोकमैन शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर खातों का इस्तेमाल कर चोरी करने और पूंजी को छुपाने के लिए किया गया। यूरोप की संसद में ‘ग्रीन’ पार्टी के सांसद स्वेन गीगोल्ड ने कहा, ‘‘लीक हुए नए आंकड़ों के बाद सभी को सतर्क हो जाना चाहिए। वैश्विक कर चोरी से वैश्विक असमानता पैदा होती है। हमें इससे निपटने के प्रयासों को विस्तार देने की आवश्यकता है।
सूची में 300 भारतीय भी शामिल
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पैंडोरा पेपर्स लीक में भारत के 300 से ज्यादा बड़ी हस्तियों के नाम हैं, जिनमें से 60 मशहूर शख्सियतों के बारे में जानकारी मौजूद है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि भारत के अमीर कारोबारी अनिल अंबानी, जिन्होंने ब्रिटेन की एक अदालत में खुद को दिवालिया बताया है, उनके पास विदेश में 18 कंपनियां हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के क्रिकेट दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने भी पनामा पेपर्स लीक के तीन महीने बाद वर्जिन आइलैंड में मौजूद अपनी संपत्ति को बेचने की कोशिश की थी। हालांकि इस पूरे मामले में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का नाम सामने आने के बाद उनके वकील ने बयान जारी कर सफाई दी है कि सचिन तेंदुलकर के विदेशी कंपनियों में किए गए सभी निवेश वैध हैं और उनकी पूरी जानकारी आयकर विभाग के आला-अधिकारियों को दी गई है।