प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में नदियों के महत्व पर जोर देते हुए तमिलनाडु की एक नदी का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु में नागा नदी सूख गई थी, लेकिन ग्रामीण महिलाओं की पहल और सक्रिय जनभागीदारी के कारण नदी में जान आ गई और आज भी नदी में भरपूर पानी है।’
मन की बात में उन्होंने कहा, आप सब जानते ही हैं, माघ का महीना आता है तो हमारे देश में बहुत लोग पूरे एक महीने मां गंगा या किसी और नदी के किनारे कल्पवास करते हैं। नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्पमात्रा में बची हो लेकिन एक बहुत बड़ी परंपरा थी जो सुबह में स्नान के दौरान ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी।
पश्चिमी भारत में पानी की कमी, बूंद-बंद को समेटने के लिए शुरू हुई परंपरा
पीएम मोदी ने इस दौरान कहा, हमारे शास्त्रों में तो नदियों में जरा सा प्रदूषण करने को भी गलत बताया गया है। उन्होंने कहा, ‘हमारे हिन्दुस्तान का जो पश्चिमी हिस्सा है, वहां पानी की बहुत कमी है। कई बार अकाल पड़ता है। अब इसलिए वहां के समाज में एक नई परंपरा विकसित हुई है। जैसे गुजरात में बारिश की शुरुआत होती है तो गुजरात में जल-जीलनी एकादशी मनाते हैं। मतलब की आज के युग में हम जिसको कहते हैं, कैच द रेन। वो वही बात है कि जल के एक-एक बूंद को अपने में समेटना, जल-जीलनी।’
नदियों को जीवंत रखने में जन-आंदोलन की बहुत बड़ी भूमिका
प्रधानमंत्री ने बताया कि बारिश के बाद बिहार और पूरब के हिस्सों में छठ का महापर्व मनाया जाता है। उम्मीद है कि छठ पूजा को देखते हुए नदियों के किनारे, घाटों की सफाई और मरम्मत की तैयारी शुरू कर दी गई होगी। नदियों की सफाई और उन्हें प्रदूषण से मुक्त करने का काम, सबके प्रयास और सबके सहयोग से कर ही सकते हैं। नमामि गंगे मिशन भी आज आगे बढ़ रहा है तो इसमें सभी लोगों के प्रयास, एक प्रकार से जन-जागृति , जन-आंदोलन की बहुत बड़ी भूमिका है।
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सभी को याद रखना चाहिए ये दिन
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘वैसे तो हम लोग बहुत सारे दिन याद रखते हैं, तरह-तरह के दिन का उत्सव मनाते हैं। लेकिन एक और Day ऐसा है जो हम सबको याद रखना चाहिए और ये Day ऐसा है जो भारत की परम्पराओं से बहुत सुसंगत है। सदियों से जिस परम्पराओं से हम जुड़े हैं उससे जोड़ने वाला है। ये है ‘वर्ल्ड रिवर डे’ यानी विश्व नदी दिवस।’