हाल ही में तालिबान के एक प्रवक्ता ने दावा किया कि समूह के पास कश्मीर के मुसलमानों के लिए अपनी आवाज उठाने का “अधिकार” है। इसपर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विद्रोहियों से भारत के मुसलमानों को “बख्शने” के लिए कहा। उन्होंने कहा इस देश में धर्म का नाम पर चरमपंथी अत्याचारों जैसा कुछ नहीं है, न बम है न बंदूक। एएनआई समाचार एजेंसी के साथ एक साक्षात्कार में, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा कि भारत में केवल संविधान का पालन किया जाता है, और यहां की मस्जिदों में पूजा करने वालों को गोलियों और बमों से नहीं मारा जाता है, न ही लड़कियों को स्कूल जाने से रोका जाता है।

नकवी ने संकेत दिया कि भारत और अफगानिस्तान में शासन करने के तरीके में काफी अंतर है और इसलिए तालिबान इस देश में मुसलमानों के लिए बोलने से बचे तो बेहतर होगा।
मंत्री ने एएनआई को बताया, “मैं उनसे (तालिबान से) हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि भारत के मुसलमानों को बख्श दें।” “यहां मस्जिदों में नमाज पढ़ने वालों पर गोलियों और बमों से हमला नहीं किया जाता है। यहां लड़कियों को स्कूल जाने से नहीं रोका जाता, उनके सिर-पैर नहीं काटे जाते।”नकवी ने कहा, “इस देश की सरकारों का ग्रंथ संविधान है और देश उसी पर चलता है।”
बता दें कि इस सप्ताह बीबीसी उर्दू के साथ एक साक्षात्कार में, तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा था, “, हमें कश्मीर, भारत या किसी अन्य देश में मुसलमानों के लिए अपनी आवाज उठाने का भी अधिकार है।” एक अन्य तालिबान नेता अनस हक्कानी ने सीएनएन-न्यूज18 नेटवर्क के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था, “कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं है और हस्तक्षेप हमारी नीति के खिलाफ है।”
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