दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा से जुड़े एक आरोपित के खिलाफ दर्ज पांच एफआईआर में से चार को निरस्त कर दिया है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि एक ही घटना को लेकर एक आरोपित के खिलाफ पांच एफआईआर नहीं दर्ज की जा सकती।
हाईकोर्ट में दर्ज एफआईआर के खिलाफ दायर की गई याचिका
दिल्ली हिंसा के दौरान एक घर में आगजनी करने के मामले में आतिर के खिलाफ 2 मार्च 2020 को जाफराबाद थाने में मुख्य एफआईआर नंबर 106/2020 दर्ज की गई थी। उसके बाद उसी घटना को लेकर चार और एफआईआर दर्ज की गईं। इन चारों एफआईआर का नंबर 112/2020, 132/2020, 107/2020 और 113/2020 है। इन सभी एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 436 और 34 के अलावा प्रिवेंशन ऑफ डैमैज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए थे।
आतिर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि ये सभी एफआईआर एक ही घटना से संबंधित हैं और सभी एक ही परिवार के अलग-अलग सदस्यों की शिकायत पर दर्ज की गई हैं। याचिका में कहा गया था कि टीटी एंटनी फैसले के दिशा-निर्देश के मुताबिक एक ही अपराध को लेकर कई एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने याचिका को खारिज करने की मांग की थी। दिल्ली पुलिस ने कहा कि साईट प्लान के मुताबिक अलग-अलग संपत्तियों और उसमें रहनेवाले लोगों के परिसर जलाए गए थे और इससे अलग-अलग लोग प्रभावित हुए थे।
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हाईकोर्ट ने कहा कि सभी एफआईआर एक ही हैं और सबमे कम या ज्यादा तथ्य भी एक ही हैं। घटना एक ही घर की है। कोर्ट ने कहा कि भले ही संपत्तियां अलग-अलग हों लेकिन सभी एक ही परिसर में थीं जिसमें अलग-अलग लोग रह रहे थे। अगर आरोपित के खिलाफ कोई तथ्य मिलता है तो उसे मुख्य एफआईआर के रिकार्ड में दर्ज किया जाए।