अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी के बाद अब उन लोगों की शामत आ गई है, जिन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन की मदद की थी। तालिबानी आतंकी पागलों की तरह उन्हें ढूंढ रहे हैं। उनके घरों के बाहर नोटिस चस्पा कर रहे हैं, जिसमें उनसे सरेंडर करने को कहा गया है। काबुल के कई घरों पर ऐसे नोटिस देखने को मिले हैं। इन धमकी भरे नोटिस में तालिबान ने कहा है, ‘सरेंडर करो या मरो’।
‘आगे कुआं, पीछे खाई’
‘डेली मेल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, घरों के बाहर लगाए गए नोटिस में ऐसे लोगों को तालिबान द्वारा बुलाई जाने वाली अदालतों में हाजिर होने को कहा गया है, जिन्होंने किसी भी तरह से यूएस-यूके की मदद की थी। साथ ही तालिबान ने यह भी कहा है कि अदालत में उपस्थित नहीं होने पर मौत की सजा दी जाएगी। इन नोटिस से लोगों में दहशत का माहौल है। उनके लिए ‘आगे कुआं पीछे खाई’ वाली स्थिति है। यदि को अदालत में जाते हैं, तो उन्हें क्रूर सजा मिलेगी, नहीं जाती तो मृत्यु दंड मिलेगा।
नोटिस पर तालिबान की मुहर
ब्रिटिश सेना को हेलमंद प्रांत में सड़क बनाने में मदद करने वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक को भी ऐसा नोटिस मिला है। इसके बाद से उन्होंने खुद को अंडरग्राउंड कर लिया है। छह बच्चों के पिता नाज ने अफगान पुनर्वास कार्यक्रम के तहत ब्रिटेन में शरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया। अब उनकी जान खतरे में पड़ गई है। अंडरग्राउंड होने से पहले उन्होंने कहा, ‘मेरे घर के बाहर जो नोटिस लगाया गया है, उस पर तालिबान की मोहर लगी है। वो मुझे मार देंगे, मैं यहां से बाहर निकलना चाहता हूं, मुझे मदद चाहिए’।
ट्रांसलेटर को बताया जासूस
ब्रिटिश सेना के लिए ट्रांसलेटर के तौर पर काम करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि तालिबानी नोटिस में उसे ‘काफिरों का जासूस’ का कहा गया है। उसे चेतावनी दी गई है कि वो खुद तालिबान के समक्ष सरेंडर करे अन्यथा मौत के लिए तैयार रहे। इसी तरह, एक अन्य ट्रांसलेटर को ये नोटिस उसके जूतों में तब मिला, जब वह मस्जिद से बाहर निकला। वहीं, ब्रिटिश सेना की मदद करने वाले एक अफगानी ने कहा, ‘मैं मुल्क से बाहर जाना चाहता था, लेकिन समय पर हवाईअड्डे नहीं पहुंच सका। कुछ घंटे पहले तालिबानी लड़ाकों ने मेरे घर के बाहर नोटिस लगाकर सरेंडर करने को कहा, मैं अपने बच्चों को लेकर सुरक्षित जगह की तलाश में जा रहा हूं’।