पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से परेशान भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से अच्छी खबर आई है। अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) की कीमत में इस कारोबारी सप्ताह के दौरान लगातार कमी आ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम गिरकर 70 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे चला गया है।
पिछले कारोबारी सत्र में ब्रेंट क्रूड 3.88 फीसदी की गिरावट के साथ लुढ़क कर 68 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन कारोबार खत्म होने के समय ब्रेंट क्रूड मामूली सुधार के साथ 68.96 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर बंद हुआ। इसी तरह अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई क्रूड) भी शुरुआती कारोबार में 4.13 फीसदी की कमजोरी के साथ 65.12 डॉलर प्रति बैरल के भाव पहुंच गया था, जो कारोबार के अंत में 66.48 डॉलर प्रति बैरल के कीमत पर बंद हुआ। पिछले दो सप्ताह के दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत में प्रति बैरल 5.48 डॉलर प्रति बैरल तक की कमजोरी आ चुकी है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार से आई ये खबर भारत के लिए इसलिए भी उत्साहजनक है, क्योंकि भारत पेट्रोल और डीजल की अपनी 80 फीसदी से अधिक जरूरत आयातित कच्चे तेल से ही पूरा करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने का सीधा असर घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमत पर पड़ता है।
हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में कमी आने के बावजूद भारत में लगातार 24वें दिन भी पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि अगर क्रूड ऑयल की कीमत में इसी तरह नरमी का रुख बना रहा तो जल्दी ही भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती की शुरुआत हो सकती है।
जानकारों का कहना है कि सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां किसी हड़बड़ी में पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती करने का फैसला लेने से बच रही हैं। अभी ये कंपनियां अगस्त के महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की चाल पर लगातार नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि पिछले तीन सप्ताह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार उतार चढ़ाव का रुख बना हुआ है। अभी कच्चे तेल में नरमी आई है, लेकिन इसके पहले क्रूड ऑयल लगातार तेजी बनाए हुए था। इसलिए अभी की परिस्थिति में पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ाने या घटाने का कोई भी फैसला लेना जोखिमपूर्ण हो सकता है।
इस उतार चढ़ाव के बीच जानकारों का मानना है कि कि कच्चे तेल की कीमत में अभी और भी गिरावट आ सकती है। दरअसल तेल निर्यातक देशों (ओपेक) और उनके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने अगस्त के महीने से ही कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने के फैसले पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही इन देशों मे कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने का भी फैसला लिया है। ऐसे में अगर कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ता है, तो आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमत में और भी कमी आ सकती है।
संभावना जताई जा रही है कि ओपेक प्लस देशों के बीच बनी सहमति के कारण कच्चे तेल की कीमत में उत्पादन स्तर पर अब और बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए। अगर कच्चे तेल की कीमत में ज्यादा उतार चढ़ाव नहीं आया तो भारत में भी पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर बने रह सकते हैं। वहीं अगर उत्पादन बढ़ने की वजह से कच्चे तेल की कीमत में कमी होती है, तो भारत में भी पेट्रोल और डीजल के कुछ सस्ता होने की उम्मीद की जा सकती है।