पंजाब कांग्रेस के अंदरुनी क्लेश की सुनवाई इन दिनों दिल्ली दरबार में चल रही है, जिसे खत्म करने को लेकर खुद राहुल गांधी पंजाब के सभी मंत्रियों और विधायकों से मुलाकातें कर रहे हैं। सोमवार से जारी इन मुलाकातों की कड़ी में बुधवार को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ और वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने राहुल गांधी से मुलाकात करके अपना-अपना पक्ष रखा।
दोनों नेताओं ने रखी अपनी राय
बुधवार को राहुल के दरबार में पहुंचे पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ और वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने उनके सामने खुलकर अपनी राय रखी। राहुल से मुलाकात के दौरान दोनों कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वे कैप्टन अमरिंदर सिंह से किसी भी मुद्दे पर अब चर्चा नहीं करना चाहते। साथ ही उन्होंने सिद्धू को पार्टी की बागडोर न सौंपने का भी सुझाव दिया।
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने अगले चुनाव में कैप्टन को सीएम फेस ना बनाने को लेकर भी दोनों नेताओं की राय मांगी। मुलाकात के बाद जाखड़ ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मौजूदा स्थिति का जल्द ही समाधान निकलेगा। इससे पहले राहुल गांधी ने सोमवार और मंगलवार को भी कई मंत्रियों और विधायकों से मुलाकात की थी। सभी ने विधानसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए पंजाब के मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने की अपील की है।
कैप्टन ने सिद्धू को बताया विवाद की जड़
उधर, एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कमेटी के सामने पेश हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि सिद्धू ही सारे विवाद की जड़ हैं। उन्होंने कहा कि सिद्धू के साथ मतभेदों को सुलझाने के लिए उन्होंने कई बार कोशिशें की, लेकिन सिद्धू के अड़ियल रवैये के सामने उनकी एक भी कोशिश कामयाब नहीं हो पाई। सिद्धू खुद अपने लिए सभी दरवाजे बंद करने की सोच कर बैठे हैं। पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि इन परिस्थितियों में कैप्टन ने सिद्धू को कोई पद ना देने की भी सिफारिश की है।
हो सकता है बड़ा फेरबदल
उधर, पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने राहुल गांधी से मुलाक़ात के बाद कहा कि हमने नवजोत सिंह सिद्धू से संबंधित मुद्दों का गंभीरता से संज्ञान लिया है। सिद्धू अपने ही अंदाज में बल्लेबाजी कर रहे हैं, उन्होंने पार्टी के खिलाफ अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है कि उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंप दी है। आखिरी फैसला हाईकमान को ही लेना है और अगले कुछ दिनों में उनका फैसला सभी के सामने आ भी जाएगा। साथ ही रावत ने पंजाब कांग्रेस में बड़े फेरबदल के भी संकेत दिए हैं।
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उल्लेखनीय है कि पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ, जब कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से चुनाव प्रचार के दौरान बेअदबी मामले पर तुरंत कार्रवाई का भरोसा देने के बावजूद इस मामले पर ढुलमुल रवैया अपनाने और अन्य चुनावी वादों को पूरा न करने को लेकर उनके अपने ही मंत्री और विधायक उनसे नाराज हो गए। उस पर दो विधायकों के बेटों को नौकरी देने के मुद्दे ने भी कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपनों की नाराजगी झेलने पर मजबूर कर दिया।