समाज में वैसे तो ये कहा जाता है कि आज के इस शिक्षित दौर में लड़का और लड़की में कोई भेदभाव नहीं है लेकिन सच्चाई इसके इतर है , पितृसत्तात्मक समाज में आज भी महिलाओं के खिलाफ भेदभाव बदस्तूर जारी है। यह हर जगह फैला हुआ है। हैरानी की बात यह है कि महिलाओं भी सेक्सिज्म को प्रोत्साहित करने में शामिल हैं और वह भी इसे अंजाम देती हैं।बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन ने इस संबंध में एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि फिल्म इंडस्ड्री में सेक्सिज्म हर जगह मौजूद है।
उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा है कि इंडस्ट्री में सेक्सिज्म ऐसा ही है जैसा मेरा फिल्म शेरनी में कैरेक्टर है। शेरनी फिल्म में विद्या बालन फॉरेस्ट ऑफिसर की भूमिका निभी रही है। फिल्म में विद्या फॉरेस्ट ऑफिसर के नाते पर्सनल और प्रोफेसनल दोनों मोर्चे पर सेक्सिज्म का सामना कर रही हैं। इस फिल्म को अमित मसुरकर ने डाइरेक्ट की है।
हर तरफ लोगों को सेक्सिज्म का सामना करते हुए देखती हूं
सेक्सिज्म पर बात करते हुए विद्या बालन ने कहा, मुझे लगता है कि हम हर समय सेक्सिज्म का सामना करते हैं। और यह न केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता है बल्कि महिलाएं भी ऐसा करती हैं। कभी-कभी हम भी वैसा ही करने लगते हैं जैसा दूसरी महिलाएं करती हैं और इस स्थिति में हम भी दूसरी महिलाओं के साथ भी ऐसा ही व्यावहार करते हैं। विद्या ने बताया कि पितृसत्तात्मक मानसिकता में स्त्री के खिलाफ गलत भावन गहराई तक घुसी हुई है। इसमें हम सब डूबे हुए हैं। इससे आसानी से छुटकारा पाना मुश्किल है। विद्या ने कहा, मैं आज भी इसका सामना करता हूं। हां, लेकिन पहले की तरह अब नहीं करती हूं। ये चीजें मुझे परेशान करती हैं, लेकिन निश्चित रूप से यह अब पहले की तुलना में बहुत कम है। मैं हर तरफ लोगों को सेक्सिज्म का सामना करते देखती हूं।
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मुझे मेल एक्टर की डेट के हिसाब से आने के लिए कहा जाता था
हैरानी की बात है कि हर किसी को यह पता भी नहीं उनके साथ सेक्सिज्म किया जा रहा है। विद्या अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि जब मैं बॉलीवुड में आई थी, तब अक्सर मुझे समय को एडजस्ट करने के लिए कहा जाता था। उन्होंने कहा, शुरुआती दिनों में मुझे कहा जाता था कि मेल एक्टर ने अपनी डेट दे दी है तो आप उस हिसाब से अपनी डेट को तय कर लेना। हालांकि कुछ ऐसी फिल्में भी थीं जिनमें मैंने लीड रोल किया था लेकिन इस बात से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था।