नई दिल्ली। भारत-बांग्लादेश की सीमा के पास गुरुवार को सुबह पकड़े गए चीनी नागरिक हान जुनवे से दिन भर चली विभिन्न जांच एजेंसियों से पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। अवैध तरीके से भारत में घुसने के आरोप में पकड़ा गया चीनी नागरिक गुरुग्राम (हरियाणा) के एक होटल का बिजनेस पार्टनर है। उसके दो चीनी साथियों को उत्तर प्रदेश एटीएस ने इसी साल जनवरी में नोएडा से गिरफ्तार किया था। पकड़ा गया चीनी नागरिक और उसकी पत्नी इसी मामले में फरार चल रहे थे। भारत के लिए वीजा न मिलने पर वह अवैध रूप से आकर यूपी एटीएस के सामने समर्पण करना चाहता था।
बीएसएफ के मुताबिक माल्दा जिले के मिलिक सुल्तानपुर में भारत-बांग्लादेश की सीमा पर आज सुबह सात बजे 35 वर्षीय चीनी नागरिक हान जुनवे को रोका गया। जवानों ने उससे पूछताछ की तो उसने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इस पर उसे कालियाचक चौकी लाकर जांच एजेंसियों को सूचना दी गई। चीनी ‘घुसपैठिया’ अंग्रेजी नहीं जानता है, इसलिए शुरू में उससे संवाद करने में कठिनाई हुई। इस पर मंदारिन भाषा जानने वाले एक सुरक्षा अधिकारी को बुलाया गया। इसके बाद उससे खुफिया एजेंसियों ने पूछताछ शुरू की। सुरक्षा एजेंसियों ने शुरुआती जांच में यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या हान जुनवेई अकेला था या उसके साथ कुछ और लोग भी भारतीय क्षेत्र में घुसने में कामयाब रहे हैं। एजेंसियों ने उससे बांग्लादेश दौरे के उद्देश्य के बारे में भी पूछताछ की। इस दौरान उसने कई चौंकाने वाले खुलासे किये।
चीनी घुसपैठिए ने अपना नाम चीन के हुबेई निवासी हान जुनवे बताया। हान जुनवे के पास से एक लैपटॉप, 3 मोबाइल, भारतीय, बांग्लादेशी, अमेरिकी मुद्रा, बांग्लादेशी वीजा वाला एक चीनी पासपोर्ट, कुछ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बरामद हुए हैं। पूछताछ और बरामद पासपोर्ट से पता चला है कि वह 02 जून को बिजनेस वीजा पर ढाका (बांग्लादेश) पहुंचा और वहां एक चीनी दोस्त के साथ रहा। 08 जून को वह सोना मस्जिद, जिला चपैनवाबगंज (बांग्लादेश) आया और वहीं रहा। 10 जून को जब वह भारतीय क्षेत्र के अंदर प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था तो उसे बीएसएफ के जवानों ने पकड़ लिया। चीनी घुसपैठिए ने बताया कि इससे पहले भी वह चार बार भारत आ चुका है। वह 2010 में हैदराबाद और 2019 के बाद तीन बार दिल्ली, गुरुग्राम आया था।
उसने यह भी बताया कि वह गुरुग्राम (हरियाणा) के एक होटल का बिजनेस पार्टनर है। उसके चीनी बिजनेस पार्टनर सुन जियांग को एटीएस लखनऊ ने इसी साल जनवरी में साइबर इकोनामिक फ्रॉड के मामले में पकड़ा था। चीनी नागरिक के दो और साथी पोचंली टेंगली उर्फ ली टेंग ली और जू जुंफी उर्फ जूली 23 जनवरी, 2021 को नोएडा से गिरफ्तार किये गए थे। ली टेंगली का बिजनेस वीजा सितम्बर, 2020 में जबकि जूली का वीजा अगस्त, 2020 में समाप्त हो चुका है। इसी मामले में हान जुनवे और उसकी पत्नी फरार चल रहे थे। भारत में आपराधिक मामला दर्ज होने के कारण उसे भारतीय वीजा नहीं मिला, इसलिए उसे भारत आने के लिए बांग्लादेश और नेपाल से वीजा लेना पड़ा। एक हफ्ता बांग्लादेश में रहने के बाद भारत आने के लिए उसने एक नदी पार की और उसे भारत की सीमा चिन्हित करने वाला कोई सीमा स्तंभ नहीं मिला।
अब भारत आने का कारण पूछने पर चीनी नागरिक ने कहा कि वह यूपी एटीएस के सामने आत्मसमर्पण करना चाहता है। जांच एजेंसियों का कहना है कि उसके पास से मिले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में कई ऐसे पुख्ता सबूत मिले हैं कि वह भारत में चीनी खुफिया एजेंसी के लिए काम कर रहा था। चीनी नागरिक ने यह भी बताया है कि जब वह अपने गृहनगर हुबेई (चीन) में था, तो उसका बिजनेस पार्टनर सुन जियांग उसे और उसकी पत्नी को हर कुछ दिनों के अंतराल पर 10-15 नंबर भारतीय मोबाइल फोन सिम भेजता था लेकिन उत्तर प्रदेश एटीएस के हत्थे चढ़ने के बाद बिजनेस पार्टनर से भारतीय मोबाइल सिम मिलने बंद हो गए। यह शातिर गिरोह फर्जी आईडी से सिम कार्ड हासिल करके ऑनलाइन खाते खोलकर लेन-देन कर रहा था।
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पूछताछ में खुलासा हुआ है कि प्री एक्टीवेटेड सिम गुरुग्राम स्थित होटल के चीनी मालिक के निर्देश पर चीनी मैनेजर को उपलब्ध कराए जाते थे। चीनी नागरिक हान जुनवे चीन में रहकर वीचैक ऐप के माध्यम से अपने गिरोह के साथियों से जुड़ा था। चीनी नागरिक हान जुनवे को करीब एक हजार सिम कार्ड उपलब्ध कराए गए थे। इसके अलावा डेढ़ सौ भारतीय नंबरों पर वॉट्सएप रजिस्ट्रेशन के लिए वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) चीनी नागरिकों से शेयर किया गया। यह लोग प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड से विभिन्न बैंकों में ऑनलाइन खाते खोलते थे। फिर आपराधिक गतिविधियों से प्राप्त धनराशि को उन खातों में डालकर कुछ ही समय में कार्डलेस ट्रांजेक्शन कर लेते थे। पूछताछ में सामने आया कि दिल्ली में इस तरह करीब 1500 सिम बेचे गए जिनसे करीब पचास लाख रुपये ट्रांजेक्शन की बात सामने आ रही है। चीनी नागरिक को पकड़े जाने की जानकारी चीनी दूतावास को दे दी गई है।