मध्य प्रदेश दमोह में हुए विधानसभा के उपचुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस न केवल आक्रामक हो चली है, बल्कि नेताओं के तेवर भी तीखे हो चले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से लेकर पार्टी के अन्य नेता सरकार और भाजपा को आड़े हाथों ले रहे हैं, साथ ही उनका रुख भी हमलावर है। राज्य में लगभग डेढ़ पहले सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस के नेता गाहे-बगाहे ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का साहस दिखा पाते थे, क्योंकि कई नेताओं के अंदर यह बात घर कर गई थी कि उन्हें संगठन का साथ नहीं मिलेगा और मुसीबत अगर उन पर आएगी तो उसका सामना उन्हें ही करना पड़ेगा।

दमोह के तत्कालीन विधायक राहुल लोधी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था और यहां उपचुनाव हुए । नतीजे आए तो जीत कांग्रेस के खाते में गई और यहां से अजय टंडन को जीत मिली। यह जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो रही है। इतना ही नहीं इस जीत के साथ ही राज्य में कोरोना ने अपने पैर पसारे तो कांग्रेस के तमाम नेता सरकार को घेरने में लग गए। अब कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री उमंग सिंगार पर एक महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा और मामला भी दर्ज हुआ, तो पार्टी के नेता एकजुट होने लगे और उनके तेवर भी आक्रामक हो गए हैं ।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी तीखे हमले बोल रहे है। कोरोना संक्रमण को लेकर तो उन्होंने यहां तक दावा कर दिया है कि राज्य में मार्च और अप्रैल माह में एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत इस महामारी के कारण हुई है। उमंग सिंघार पर मामला राजनीतिक विद्वेष के तहत लगाए जाने का आरोप लगाते हुए यहां तक कहा कि उनके पास भी हनीटैप की सीडी है ।
पार्टी के मुखिया के आक्रामक होते तेवरों ने निचले स्तर के कार्यकतार्ओं में यह संदेश दे दिया है कि अब शांत बैठने की जरुरत नहीं है। राज्य में आगामी समय में तीन विधानसभा और एक लोकसभा क्षेत्र में चुनाव होने के साथ नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव संभावित है। इसके चलते भ्ीा कार्यकर्ता व पार्टी आक्रामक रुख अपना रही हैं।
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राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस भी यह जान गई है कि उसका मुकाबला राज्य में भाजपा के संगठन से है । भाजपा संगठन लगातार जमीनी तैयारी तेजी से कर रहा है, नई पीढ़ी को आगे ला रहा है। भाजपा से मुकाबला तभी किया जा सकता है जब कार्यकर्ता और नेताओं में जोश हो। कांग्रेस को मजबूरन ही सही मगर अपना रवैया बदलना पड़ रहा है।
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