प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट विपक्षी दलों की आंखों में कांटे की तरह चुभ रहा है। इसकी वजह है कि कोरोना संकट के बीच भी पीएम मोदी के इस प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं भी दायर की जा चुकी हैं। हालांकि, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को दाखिल करने वालों को बड़ा झटका दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को जारी किया आदेश
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस बात के मद्देनजर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया कि यह मामला पहले से ही दिल्ली हाईकोर्ट में है। न्यायमूर्ति विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इस मामले की जल्द सुनवाई के लिए स्वतंत्रता प्रदान की।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हाईकोर्ट से भी कहा कि वह जल्द सुनवाई के लिए याचिका पर विचार करे। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि हाईकोर्ट ने मामले को 17 मई को सुनवाई के लिए निर्धारित कर रखा है।
वर्तमान मामले में याचिकाकतार्ओं ने शीर्ष अदालत से राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 स्थिति और निर्माण कार्य के कारण संक्रमण फैलने की संभावना से उत्पन्न खतरे के कारण निर्माण को रोकने का आग्रह किया है।
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मामले के संबंध में शुरूआत में याचिकाकतार्ओं ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसने 17 मई तक मामले को बिना किसी आदेश के स्थगित कर दिया था।
बता दें कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन, प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के अलावा कई सरकारी इमारतें राजपथ और इंडिया गेट के आसपास बन रही हैं। कोविड-19 महामारी के इस बुरे दौर के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर विपक्षी दल भी हमलावर बने हुए हैं।