अभी कोरोना को लेकर स्थिति सही हुई भी नहीं थी कि अब एक और नई बीमारी ने लोगों के बीच दहशत का माहौल बना दिया है। देश में एक ओर जहां कोरोना के संक्रमण ने कोहराम मचा रखा है वहीं कोरोना से मरीजों के लिए एक और खतरा सामने खड़ा हो गया है। कोरोना से अगर जान बच भी जाती है तो आंख से हाथ धोना पड़ सकता है। कोरोना का समय पर इलाज न मिलने के कारण कुछ मरीजों की आंख तक निकालनी पड़ रही है। कोरोना के बाद मरीजों में म्यूकोरमाइसिस नाम की नई बीमारी का का खतरा इतना बढ़ गया है कि उनकी मौत तक हो जा रही है। सूरत में 15 दिनों के अंदर ऐसे 40 से अधिक केस सामने आए हैं, जिनमें 8 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी हैं।
जब एक तरफ देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या गुजरात में तेजी से बढ़ रही है। मरीजों को न तो बेड मिल रहा है न ही ऑक्सीजन। स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं, जिसके चलते कोरोना मरीज अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ रहे हैं। इसी बीच अब लोगों को एक नई बीमारी ने अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि समय पर इसका इलाज न होने पर मरीज की आंख निकालनी पड़ती है, नहीं तो उसकी मौत हो जाती है। इस नई बीमारी का नाम मिकोर माइकोसिस बताया जा रहा है।
इस बीमारी के बारे में डाक्टरों की मानें तो म्यूकोरमाइसिस एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जो नाक और आंख से होता हुआ ब्रेन तक पहुंच जाता है और मरीज की मौत हो जाती है। पिछले साल कोरोना के पहले फेज में इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में इस तरह के केस बढ़ते जा रहे हैं। पहले कोरोना मरीज आंख दर्द और सिर दर्द को हल्के में ले रहे थे लेकिन इस बार इसका असर काफी ज्यादा देखा जा रहा है।
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म्यूकोरमाइसिस के और भी है एक तरह का साइड इफेक्ट
सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ नाक कान गला (ईएनटी) सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने कहा, ‘हम कोविड-19 से होने वाले इस खतरनाक फंगल संक्रमण के मामलों में फिर से वृद्धि देख रहे हैं। बीते दो दिन में हमने म्यूकोरमाइसिस से पीड़ित छह रोगियों को भर्ती किया है। बीते साल इस घातक संक्रमण में मृत्यु दर काफी अधिक रही थी और इससे पीड़ित कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी तथा नाक और जबड़े की हड्डी गल गई थी।’