कोरोना महामारी के चलते स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है। हर घंटे संसाधनों की कमी की वजह से लोग अपनी जिंदगी की जंग हार रहे है, साथ ही अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी हो रही है। वहीं अब एक और बुरी खबर लोगों की परेशानियां बढ़ा सकती है। दरअसल कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां की कमी हो सकती है। दवा निर्माता कंपनियों के अनुसार कच्चे माल की कमी के चलते ये बड़ी मुसीबत बन सकती है।

बताया जाता है कि पिछले एक महीने में प्रमुख कोविड-19 दवाओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतों में 200 प्रतिशत तक का उछाल आया है। कीमतों में वृद्धि और बाजार में कच्चे माल की अनुपलब्धता के चलते मेडिकल जगत चिंता में हैं। एक दवा कंपनी के अनुसार कच्चे माल की कीमतों में काफी अंतर भी है। व्यापारी और निर्माता इसे अलग-अलग कीमतों में बेच रहे हैं। अगर सरकार का इसमें हस्तक्षेप नहीं हुआ तो जमाखोरी बढ़ सकती है।
इन इवाइयों की हो सकती है कमी
फार्मास्यूटिकल्स उद्योग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक कई सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) की कीमतें मार्च से अप्रैल के दौरान 30 से 200 फीसदी तक बढ़ गई हैं। कोरोना दवाइयों में इस्तेमाल होने वाली इवरमेक्टिन, मेथिलप्रेडनिसोलोन, डॉक्सीसाइक्लिन, एनोक्सापारिन, पेरासिटामोल, एज़िथ्रोमाइसिन, मेरोपेनेम और पिपराताज़ो जैसी दवाइयों की आने वाले दिनों में कमी हो सकती है।
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कार्गों सेवाओं पर रोक से बुरा हाल
भारत अपनी दवाइयों के कच्चे माल का 70 प्रतिशत चीन से आयात करता है। मगर भारत में चीनी कार्गो सेवाओं को 15 दिनों तक के लिए निलंबित कर दिया गया है। ऐसे में दवा के कच्चे माल का आयात प्रभावित हुआ है। इससे इंडस्ट्री की चिंता बढ़ गई है। साथ ही बाजार में महत्वपूर्ण दवाओं के कच्चे माल की जमाखोरी बढ़ गई है।
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