राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने देश की अदालतों में लंबित मुकदमों को शीघ्रता से निपटाने के लिए न्यायाधीशों के साथ अन्य अदालती व अर्ध न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण का दायरा बढ़ाने पर बल दिया है।
राष्ट्रपति ने न्यायिक प्रणाली को लेकर दिया बयान
राष्ट्रपति कोविंद ने शनिवार को मध्य प्रदेश के जबलपुर में आयोजित राज्य स्तरीय न्यायिक अकादमी के निदेशकों के अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था का उद्देश्य केवल विवादों को सुलझाना नहीं है, बल्कि न्याय की रक्षा करने का भी होता है। साथ ही न्याय की रक्षा का एक उपाय उसमें होने वाले विलंब को दूर करना भी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी न्यायिक प्रणाली का प्रमुख ध्येय है कि न्याय के दरवाजे सभी के लिए खुले रहें। हमारे मनीषियों ने सदियों पहले इससे भी आगे जाने अर्थात् न्याय को लोगों के दरवाजे तक पहुंचाने का आदर्श सामने रखा था।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीश को किसी भी व्यक्ति, संस्था और विचारधारा के प्रति किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह तथा पूर्व-संचित धारणाओं से सर्वथा मुक्त होना चाहिए। न्याय करने वाले व्यक्ति का निजी आचरण भी मर्यादित, संयमित, सन्देह से परे और न्याय की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला होना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि हमारी निचली न्यायपालिका, देश की न्यायिक व्यवस्था का आधारभूत अंग है। उसमें प्रवेश से पहले सैद्धांतिक ज्ञान रखने वाले कानून के छात्र को कुशल एवं उत्कृष्ट न्यायाधीश के रूप में प्रशिक्षित करने का महत्वपूर्ण कार्य हमारी न्यायिक अकादमियां कर रही हैं।