कांग्रेस के नाराज नेताओं का जम्मू में जमावड़ा, बढ़ सकती पार्टी के भीतर छिड़ी रार

जम्मू/नई दिल्ली। कांग्रेस में सांगठनिक चुनाव कराने और नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले जी-23 नेताओं के जम्मू में हुए जमावड़े ने संकेत दे दिया है कि पार्टी के भीतर छिड़ी रार बढ़ने वाली है। 

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से सेवानिवृत्त होने के बाद जम्मू में आयोजित एक कार्यक्रम में जुटे इन नेताओं ने बड़ी साफगोई से पार्टी की कमजोरी को स्वीकार करते हुए अपनी बात रखी। पार्टी के भीतर जी-23 नाम से चर्चित इन नेताओं के जमावड़े पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंधवी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये सभी वरिष्ठ नेता कांग्रेस परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं, सम्मानित व्यक्ति हैं, जिनका हम आदर करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी को ऐसा लगता है कि जब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं तो ऐसे में उन्हें उन राज्यों में पार्टी को मजबूत करना चाहिए।

दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का एक बड़ा धड़ा इस पक्ष में है कि कांग्रेस के सांगठनिक चुनाव कराकर एक सर्व-स्वीकार अध्यक्ष की नियुक्ति हो, जो संगठन में ऊर्जा और उत्साह का संचार कर सके। लब्बोलुआब ये कि विपक्षी दल के भीतर एक धड़ा पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ताजपोशी के पक्ष में नहीं है। इन धड़े में गुलाम नबी आजाद के साथ ही कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, राज बब्बर सरीखे कई नाम शामिल हैं।

जम्मू की बैठक में सिब्बल ने आजाद के सियासी अनुभव और तजुर्बे का पार्टी के सशक्तिकरण में इस्तेमाल किए जाने की सलाह देते हुए यहां तक कहा कि आजाद एक ऐसे नेता हैं, जो हर राज्य के हर जिले में कांग्रेस की हकीकत और उसकी ताकत के बारे में जानते हैं। उन्होंने आजाद के राज्यसभा से सेवानिवृत्त होने पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा ‘हम नहीं चाहते थे कि वह संसद से जाएं। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर कांग्रेस उनके अनुभव का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही है।’

बैठक में राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि पिछले एक दशक में कांग्रेस कमजोर हुई है। हम पार्टी की बेहतरी के लिए आवाज उठा रहे हैं। पार्टी को एक बार फिर से हर स्तर पर मजबूत किए जाने की जरूरत है। नई पीढ़ी को पार्टी से जोड़ने की जरूरत है। हमने कांग्रेस के अच्छे दिन भी देखे हैं। हम अपनी इस उम्र में कांग्रेस को कमजोर नहीं देखना चाहते।