संसद में जारी बजट सत्र के दौरान कृषि कानूनों को लेकर जमकर हंगामा देखने को मिल रहा है। इसी हंगामें के बीच शुक्रवार को मोदी सरकार का पक्ष रखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने विपक्ष के सवालों का मुंहतोड़ जवाब दिया है। उन्होंने इस जवाब में एक तरफ जहां कृषि कानूनों के फायदे और मोदी सरकार की मंशा बताई, वहीँ दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को आड़े हाथों भी लिया।

कृषि मंत्री ने बताई मोदी सरकार की मंशा
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार गांव, गरीब एवं किसान के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और आने वाले कल में भी रहेगी। सरकार नए कृषि सुधार कानूनों में जरूरी संशोधन के लिए तैयार है, किंतु इसका मतलब यह कतई नहीं कि कृषि सुधार कानून में कोई गलती है। उन्होंने यह बात राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा में कही।
कृषि कानूनों ने कहा कि वे पिछले दो महीने से किसान यूनियनों से भी यह पूछते रहे कि नए कृषि कानूनों में काला क्या है, वे बताएं। ताकि सरकार उनको ठीक कर सके। तोमर ने कहा कि उन्होंने किसान नेताओं से लगातार वार्ता की, लेकिन कानून के प्रावधान किसानों के प्रतिकूल कैसे हैं, यह बताने की कोशिश किसी ने नहीं की।
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की चुटकी लेते हुए तोमर ने कहा कि तीन कृषि कानूनों का मुद्दा इस समय ज्वलंत हैं। मैं विपक्ष के सदस्यों को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने सरकार को कोसने में कोई कंजूसी नहीं की। कानूनों को काले कानून भी जोर देकर कहा। उनके इतना कहते ही सदस्य ठहाके लगाने लगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि इस समय देश में उल्टी गंगा बह रही है। जो कर से छूट दे रहा उसके खिलाफ आंदोलन हो रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का कानून कर (टैक्स) को खत्म करता है जबकि राज्य सरकार का कानून कर देने पर बाध्य करता है। जो कर ले रहा है, बढ़ा रहा है आंदोलन उसके खिलाफ होना चाहिए या जो करमुक्त कर रहा है, उसके खिलाफ होना चाहिए? अब देश में उलटी गंगा बह रही है।
तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह से किसानों के प्रति समर्पित है। किसान आंदोलन के लिए हम लोगों ने लगातार उनको सम्मान देने की कोशिश की है। इस क्रम में सरकार ने 11 बार सम्मान के साथ किसान संगठनों के नेताओं के साथ वार्ता की। उनकी मांगों पर संवेदनीशीलता के साथ विचार किया।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसान नेताओं के समक्ष एक के बाद एक प्रस्ताव देने का भी प्रयत्न किया। यह भी कहा कि सरकार जरूरी संशोधन के लिए तैयार है, किंतु इसका मतलब यह कतई नहीं कि कृषि सुधार कानून में कोई गलती है। इसके बावजूद, किसान आंदोलनरत हैं। उन्होंने पंजाब का नाम लिये बिना कहा कि एक राज्य में किसान गलतफहमी का शिकार हैं। उन्हें बरगलाया गया है कि ये कृषि सुधार कानून उनकी जमीन हड़प लेंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि कोई भी कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग कानून में कोई एक प्रावधान बताए जिसके तहत यह संदेह उत्पन्न होता है कि किसानों की जमीन हड़प ली जाएगी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार का कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून देखिए, हरियाणा सरकार का कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून देखिए, जो हुड्डा सरकार में ही पारित हुआ था। पंजाब सरकार के कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून में किसान गलती करेगा तो उसे जेल जाना पड़ेगा। इतना ही नहीं, किसान पर 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है। लेकिन जो मोदी सरकार ने कानून बनाया है कि उसमें किसान कभी भी बाहर हो सकता है। 20-22 ऐसे राज्य हैं, जिनके लिए नया कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून बनाया है या उन्होंने एपीएमसी में शामिल किया है।
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कृषि मंत्री ने कहा कि किसान की आमदनी दोगुनी हो इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से 6,000 रुपये का योगदान दिया। आज हम ये कह सकते हैं कि दस करोड़ 75 लाख किसानों को 1,15,000 करोड़ रुपये डीबीटी से उनके अकाउंट में भेजने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग मनरेगा को गड्ढों वाली योजना कहते थे। जब तक संप्रग सरकार थी उसमें गड्ढे खोदने का ही काम होता था। लेकिन हमने इस योजना को परिमार्जित किया। उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उनके हितों के लिए काम करती रहेगी।
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