अयोध्या के धन्नीपुर गांव में बन रही मस्जिद का निर्माण कार्य अभी शुरू ही हुआ है कि मस्जिद पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। अयोध्या की मस्जिद का मामला एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंच गया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ योगी सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए जो पांच एकड़ जमीन दी है, उसपर दो बहनों ने अपना हक़ जताया है। केवल इतना ही नहीं, इन बहनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए बड़ी मांग की।

अयोध्या की इस जमीन को लेकर दायर हुई याचिका
दिल्ली में रहने वाली दो बहनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की है। उन्होंने इस याचिका में दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने मस्जिद के लिए दो पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी है, वह उनके पिता की है। इन बहनों का नाम बहनों का नाम रानी कपूर (रानी बलूजा) और रमा रानी पंजाबी बताया जा रहा है।
एक न्यूज पोर्टल से मिली जानकारी के अनुसार, इन बहनों ने हाईकोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका में लिखा है कि उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी विभाजन के दौरान 1947 में पंजाब से भारत आए और तत्कालीन फैजाबाद (अब अयोध्या) जिले में बस गए। बहनों ने याचिका में दावा किया है कि उनके पिता को नाजुल विभाग ने धन्नीपुर गाँव में लगभग 28 एकड़ ज़मीन लगभग पाँच साल के लिए आवंटित की थी। ये जमीन तय अवधि से ज़्यादा समय तक उनके पास थी।
बहनों का याचिका में कहना है कि उनके पिता का नाम राजस्व रिकॉर्ड में शामिल किया गया था। कुछ समय बाद उनका नाम हटा दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने तत्कालीन आयुक्त के समक्ष अपील की थी जिसे बाद में स्वीकृति दी गई थी। याचिका के मुताबिक़ अधिकारियों ने चकबंदी प्रक्रिया के दौरान उनके पिता का नाम फिर से हटा दिया था। दोनों बहनों ने अधिकारी द्वारा जारी किए गए इस आदेश के खिलाफ निपटान अधिकारी, अयोध्या (सदर) के समक्ष अपील की थी।
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इस अपील को संज्ञान में लिए बिना अधिकारियों ने उनकी कुल 28 एकड़ ज़मीन में से 5 एकड़ ज़मीन मस्जिद के निर्माण के लिए वक्फ बोर्ड को आवंटित कर दी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जब तक यह विवाद निपटान अधिकारी के सामने लंबित है, तब तक अयोध्या की इस जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड के हवाले किए जाने से रोक लगाई जानी चाहिए।
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