भारत ने म्यांमार में जारी घटनाक्रम पर चिंता जाहिर की है और कहा है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत म्यांमार के घटनाक्रम को लेकर चिंतित है और घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। म्यांमार में लोकतांत्रिक बदलावों का भारत ने हमेशा समर्थन करता रहा है। हमारा मानना है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखना चाहिए।
म्यांमार में घटी सियासी घटना से अमेरिका भी चिंतित
इसी बीच अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन ने कहा है कि म्यांमार में सेना के नागरिक सरकार के कई नेताओं, राज्य काउंसलर आंग सान सू की और नागरिक समाज के नेताओं को हिरासत में लिए जाने के घटनाक्रम पर चिंतित है और सतर्कता से नजर बनाए हुए है। संयुक्त राष्ट्र ने आंग सान सू की की हिरासत की कड़ी निंदा की है और इसे म्यांमार में लोकतांत्रिक सुधारों को गंभीर झटका बताया है।
राष्ट्रपति, राज्य परामर्शदाता और क्षेत्रीय व राज्य अधिकारियों की रात की गिरफ्तारी के बाद सैन्य उपाध्यक्ष सत्ता को सत्ता में बिठाने के बाद है, म्यांमार सेना का कहना है कि तख्तापलट संवैधानिक है ।
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एक दशक पूर्व तक तक़रीबन 50 साल सैनिक शासन देखने वाले म्यांमार में एक बार फिर सैन्य तख्तापलट हो गया है। देश की नेता आंग सांग सू की और राष्ट्रपति यू विन म्यिंट को गिरफ्तार कर देश को सेना ने अपने कब्जे में ले लिया है। देश में एक साल के लिए आपातकाल घोषित कर दिया गया है। पूर्व जनरल और उप राष्ट्रपति मिंट स्वे को कार्यकारी राष्ट्रपति बनाया गया है और उन्हें सैन्य प्रमुख का भी दर्जा दिया गया है।