सवा लाख ग्राम स्वराज सेनानियों का भव्य सम्मेलन
गांव-गांव में ग्राम स्वराज लाने का लिया संकल्प
लखनऊ : रमाबाई अम्बेडकर मैदान में एकल अभियान द्वारा आयोजित परिवर्तन कुम्भ के तहत भव्य स्वराज सेनानी सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मेलन में 20 हजार गांवों से सभी दिशाओं से भव्य शोभायात्रा रमाबाई अम्बेडकर मैदान पहुँची, जहां सामाजिक समरसता और भारतीय ग्राम्य संस्कृति की अद्भुत झांकी दिखाई दी। भारत और विदेशों में कार्यरत एकल अभियान के सेवाव्रती, वानप्रस्थी कार्यकर्ताओं एवं नि:स्वार्थ भाव से संलग्न नगर व ग्राम संगठन के हजारों कार्यकर्ताओं का अदभुत संगम देखकर अभियान की परिकल्पना साकार नजर आई। 31 वर्षों की लम्बी यात्रा में एकल अभियान ने भारत वर्ष के लाखों गांवों में स्वाभिमान जगाकर उनके सशक्तिकरण का प्रयत्न किया है। ग्राम विकास किए बिना राष्ट्र का विकास संभव नहीं है, अर्थात गांव का विकास होना अति आवश्यक है। शिक्षा के साथ-साथ उनका सर्वांगीण विकास हो और ग्राम स्वराज में उनके बुनियादी दायित्व एवं अधिकारों का भी उन्हें संज्ञान हो, इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। इस हेतु एकल अभियान के ग्राम जागरण शिक्षा के अंतर्गत उन्हें ग्राम स्वराज का संकल्प कराया जाता है, जिसका अर्थ अपने गांव का विकास स्वयं करना है। आजादी के 70 वर्ष बाद भी गांव में मूलभूत आवश्यकताएं जैसे पीने का पानी, खेती की जमीन, विद्यालय, सड़क, बिजली से ग्रामवासी वंचित रहे। व्यवस्था पहुंची भी तो कागजों में, जमीन पर नहीं।
सम्मेलन की मुख्य वक्ता वात्सल्य ग्राम की प्रमुख साध्वी ऋतम्भरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत को भारत बनाये रखने की एकल की निष्ठा सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं है। ये अभियान तो भारत के नवनिर्माण का अभियान है। ग्रामीण इलाके हों या वनवासी क्षेत्र, एकल हर उस जगह गया जहां सही मायने में भारत की आत्मा बसती है। साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि समाज निर्माण में एकल के संकल्प और सामर्थ्य देखकर मैं अभिभूत हूं। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के ट्रस्टी संत गोविन्द देव गिरि महाराज ने कहा कि सही मायने में रामराज्य की हमारी परिकल्पना उस दिन साकार होगी जिस दिन हमारे वनवासी भाई—बहन समाज के बाकी लोगों के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर चल सकेंगे। उन्होंने कहा कि वनवासी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की भलाई की बात पहले भी कई संस्थाएं करती रही हैं लेकिन मतान्तरण की आड़ में उन्होंने इन भेले भाले वनवासियों के साथ धोखा किया। सही मायने में अगर किसी एक संस्था ने नि:स्वार्थ भाव से इनके बीच रहकर इनका भरोसा जीतकर काम किया तो वो एकल संस्था है।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये सन्त बालकनाथ महाराज ने लोगों से आह्वान किया कि आज हर व्यक्ति यहां से यह संकल्प लेकर जाएं वो कम से कम पांच बच्चों को शिक्षित करेंगे। उन्होंने कहा कि आज समाज को स्वराज की आवश्यकता है और शिक्षा की आवश्यकता है। स्वराज सेनानी सम्मेलन की मुख्य प्रस्तावना एकल अभियान के राष्ट्रीय महामंत्री माधवेन्द्र सिंह ने प्रस्तुत की। इस मौके पर उन्होंने एकल का यह संकल्प दोहराया कि भारत के किसी भी गांव में हम एक भी गांववासी को असहाय नहीं रहने देंगे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 आर0बी0 सिंह ने किया। पूरे कार्यक्रम का संचालन अभियान के सेवाव्रती रंजन बाग ने किया। इस अवसर पर एकल के संस्था के संस्थापक सदस्य श्याम जी गुप्त, एकल संस्था की अध्यक्ष प्रो0 मंजू श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश सरकार के मन्त्री नन्दगोपाल गुप्ता ‘नन्दी’, विधायक नीरज बोरा, स्वराज सेनानी सम्मेलन आयोजन समिति के अध्यक्ष आशीष अग्रवाल, भारत लोक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष उमाशंकर हलवासिया, सचिव भूपेन्द्र अग्रवाल ‘भीम’ प्रमुख रूप से मंचस्थ रहे।