भले ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लगभग डेढ़ साल बाद 2022 में होना हो, लेकिन इस चुनाव की रणनीति अभी से बननी शुरू हो गई है। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) ने एक बड़ा ऐलान किया है। दरअसल, प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने सपा को बड़ा झटका देते हुए उन कयासों पर पूर्ण विराम लगा दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि परस्पा का सपा में विलय हो जाएगा।
शिवपाल ने उजागर की विधानसभा चुनाव की रणनीति
शिवपाल ने गुरूवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए प्रसपा का समाजवादी पार्टी में विलय नहीं होगा, बल्कि छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे।’ इससे पहले 19 नवंबर को शिवपाल सिंह यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि सम्मानजनक सीटें मिलने पर समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन किया जाएगा।
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि 21 दिसंबर को मेरठ के सिवाल खास विधानसभा क्षेत्र में रैली कर यूपी विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकेंगे। इसके बाद गांव-गांव में पद यात्रा करेंगे। इतना ही नहीं, 23 दिसंबर को इटावा के हैवरा ब्लॉक में चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसके बाद 24 दिसंबर से गांव-गांव पदयात्रा की जाएगी जो कि अगले छह महीने तक चलेगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रचार रथ तैयार किया जा रहा है।
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शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि भाजपा की सरकार में अन्नदाता सबसे ज्यादा परेशान है। अन्नदाताओं के प्रति ऐसा अमानवीय अत्याचार करने वालों को सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है। लोकतंत्र में सांकेतिक विरोध प्रदर्शन का अधिकार सभी को है। यही लोकतंत्र की ताकत है। बड़ी सी बड़ी समस्याओं को बातचीत के द्वारा हल किया जा सकता है। जन आकांक्षा के दमन और लाठीचार्ज के लिए लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है।