अक्सर पति-पत्नी को एक जैसा सरनेम रखना पड़ता है, क्योंकि ये सोच व समाज का रिवाज होता है। जापान में भी एक कानून के तहत पति और पत्नी को एक ही सरनेम रखना जरूरी होता है। अगर शादी से पहले दोनों के सरनेम अलग हैं तो शादी के बाद किसी एक को समझौता कर दूसरे का सरनेम अपने नाम के आगे लगाना होता है। मगर, अब वहां रहने वाले पति-पत्नियों को इस कानून से छुटकारा मिल सकता है।
असल में, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिडे सुगा ने अपने देश की जनता को आश्वासन दिया है कि वो इस कानून में बदलाव करेंगे और इस बदलाव के प्रति वह समर्पित भी हैं।
महिला विरोधी माना जाता है कानून
आपको बता दें कि जापान में इस कानून को महिला विरोधी कानून माना जाता है। इसके अलावा महिलाओं के खिलाफ हिंसा के खात्मे के लिए बनी संयुक्त राष्ट्र की समिति भी जापान के इस फैसले का समर्थन किया है।
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हाल ही में जापान में एक सर्वे किया गया था, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि जापान में अधिकतर लोग शादी के बाद भी अपना सरनेम बरकरार रखने के पक्ष में हैं। वहीं, सर्वे में यह बात भी सामने आई कि 14.4 प्रतिशत लोग आज भी यह मानते हैं कि पति और पत्नी का सरनेम एक होना चाहिए।
प्रधानमंत्री के फैसले पर पार्टी का मत अलग
उधर, प्रधानमंत्री सुगा के फैसले पर उनकी अपनी पार्टी एलडीपी का मत अलग है। पार्टी में रूढ़िवादी सदस्य शामिल हैं, जो इस कानून में बदलाव करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि पति-पत्नी के अलग सरनेम होने से परिवार की एकता प्रभावित होती है। हालांकि, विपक्षी दल ने जापान पीएम के इस फैसले का स्वागत किया है।