राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित देश के सबसे बड़ा हॉस्पिटल AIIMS में 5000 नर्सें हड़ताल पर चली गई हैं। इनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं। हड़ताल के चलते अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है और स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई हैं। नर्सों के हड़ताल के चलते मरीज परेशान हो रहे हैं और इतना ही नहीं कई वार्ड में तो मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। हालांकि अभी ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं पर हड़ताल का ज्यादा असर नहीं पड़ा है, लेकिन इसका असर दिखना शुरू हो गया है। नर्सों के हड़ताल के चलते एम्स प्रशासन ने 170 नर्सों को आउटसोर्स मंगाने का फैसला किया है। ये नर्सें अस्पताल में रोगियों की देखभाल करेंगी। हालांकि एम्स प्रशासन कहता रहा है कि वो सामान्य परिस्थितियों में नर्सों को आउटसोर्स नहीं करता है। हड़ताली नर्स नर्सिंग सेवाओं को आउटसोर्स करने का विरोध कर रहा है।
वैसे तो हड़ताली नर्सों की मांगों की सूची काफी लंबी है। लेकिन उनकी मुख्य मांगों में 6ठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करना है। इस विसंगति के दूर होने से नर्सों का वेतन बढ़ेगा। संविदा पर नर्सों की बहाली को रोकना, नर्सों के लिए आवास की व्यवस्था रोके जाने का मुद्दा भी शामिल है। लेकिन एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नर्स संघों ने 23 मांगें रखी थीं और एम्स प्रशासन और सरकार ने उनमें से लगभग सभी मांगें मान ली हैं। उन्होंने कहा कि एक मांग मूल रूप से छठे वेतन आयोग के मुताबिक शुरुआती वेतन तय करने की विसंगति से जुड़ी हुई है।
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इधर नर्सिंग अधिकारी ने कहा है कि हमने एम्स प्रशासन को एक महीने पहले से नोटिस दिया हुआ है, फिर भी हमें मिलने के लिए नहीं बुलाया गया। हमसे बात करने की भी कोशिश नहीं की और मंत्रालय के द्वारा डराया-धमकाया जा रहा है। हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हड़ताल पर गए नर्सों का कहना है संविदा पर नर्सों की नियुक्ति बंद होनी चाहिए। नर्सों ने मांग की है कि उनकी बहाली पक्की हो, ताकि वे भविष्य की चिंता किए बगैर मरीजों की सेवा कर सकें।