उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान ने कई इलाकों पर कब्जा कर लिया है, जिसके कारण लोग अपने घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो गए हैं। इन्हीं लोगों में से एक सकीना बताती हैं कि वह 11 साल की हैं। तालिबान ने इसके गांव में इसका स्कूल जला दिया, जिसके कारण उसे अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

अफगानिस्तान पर कब्ज़ा जमा रहा तालिबान
अफगानिस्तान के उत्तरी हिस्से में स्थित मजार-ए-शरीफ में एक चट्टान पर बने एक अस्थायी शिविर में ऐसे करीब 50 परिवार मजबूरी में रह रहे हैं। ये सभी लोग तेज गर्मी में यहां पर रहने को मजबूर हैं। यहां पर पेड़ भी नहीं है और केवल एक शौचालय है। वहां एक गंदा सा तंबू है, जो एक गड्ढे पर बना है, जिसमें से काफी दुर्गंध आती है।
अफगानिस्तान सरकार के शरणार्थी एवं प्रत्यावर्तन मंत्रालय के अनुसार तालिबान की गतिविधियां बढ़ने के कारण पिछले 15 दिन में 56,000 से अधिक परिवार अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं, जिनमें से ज्यादातर देश के उत्तरी हिस्से से हैं। कैंप इस्तिकलाल में एक के बाद एक परिवार ने तालिबानी कमांडर द्वारा भारी-भरकम हथकंडे अपनाने की बात बताई है।
सकीना ने बताया कि आधी रात की बात है, जब उसके परिवार ने अपना सामान उठाया और वे बल्ख प्रांत स्थित अपने अब्दुलगन गांव से भाग निकले। हालांकि उनके यह कदम उठाने से पहले तालिबान स्थानीय स्कूल में आग लगा चुका था। सकीना ने कहा कि उसे समझ नहीं आता की आखिर उसका स्कूल क्यों जलाया गया।
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उसने बताया कि शिविर में केवल एक ही लाइट है और कई बार रात के अंधेरे में आवाजें सुनाई देती हैं। उसे लगता है कि तालिबानी यहां भी आ गए हैं। इंजीनियर बनने की चाहत रखने वाली सकीना इन घटनाओं से बुरी तरह घबराई हुई है।
उल्लेखनीय है कि तालिबान धीरे-धीरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर रहा है। लोग तालिबान के डर के कारण अपने घरों को छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो गए हैं। लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं। उत्तरी अफगानिस्तान में बहुत बुरा हाल है।
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