उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत मुफ्त गेहूं और चावल के वितरण योजना को खत्म करने का फैसला किया है. इससे कम से कम 36 मिलियन राशन कार्डधारकों या 150 मिलियन लाभार्थियों पर सीधा प्रभाव पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है. राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, राशन कार्डधारकों को अब जुलाई का राशन लेते समय गेहूं और चावल के लिए क्रमश: 2 रुपये और 3 रुपये प्रति किलोग्राम का भुगतान करना होगा. जुलाई माह का राशन वितरण 25 अगस्त से ही शुरू हो गया था.
महीने में दो बार मुफ्त राशन मिल रहा था
दरअसल, यूपी की योगी सरकार की ओर से कोविड-19 महामारी की शुरुआत में मुफ्त खाद्यान्न वितरण योजना शुरू की गई थी. यूपी में अब तक लगभग 15 करोड़ लोग इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं. उन्हें महीने में दो बार मुफ्त राशन मिल रहा था. लखनऊ के जिला आपूर्ति अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि अगस्त से राशन कार्ड धारकों को खाद्यान्न (गेहूं और चावल) का भुगतान करना होगा. हालांकि, सरकार एक लीटर रिफाइंड तेल और एक किलोग्राम नमक और चना (चना) मुफ्त देना जारी रखेगी.
स्थिर आय नहीं होती
राज्य के 36 मिलियन राशन कार्डधारकों में से लगभग 31.9 मिलियन लाभार्थी प्राथमिकता यानी पीएचएच श्रेणी में आते हैं जबकि 40 लाख लाभार्थी ‘अंत्योदय’ श्रेणी के अंतर्गत आते हैं. ‘अंत्योदय’ राशन कार्ड उन व्यक्तियों को जारी किया जाता है जिनकी स्थिर आय नहीं होती है या वे ‘गरीब से गरीब’ परिवारों के अंतर्गत आते हैं. पीएचएच राशन कार्ड उन परिवारों को जारी किए जाते हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जो अपनी राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं.
योजना में क्या हुआ बदलाव?
हाल ही में विभाग की ओर जानकारी दी गई थी कि अंत्योदय कार्डधारकों को कुल 35 किलोग्राम खाद्यान्न मिलेगा. इसमें 14 किलोग्राम गेहूं 2 रुपये प्रति किलोग्राम और 21 किलोग्राम चावल 3 रुपये प्रति किलोग्राम प्रति कार्ड होगा. वहीं, पीएचएच राशन कार्डधारकों को पांच किलोग्राम खाद्यान्न मिलेगा. इसमें दो किलोग्राम गेहूं और तीन किलोग्राम चावल क्रमशः 2 रुपये प्रति किलोग्राम और 3 रुपये प्रति किलोग्राम होंगे. हालांकि, अब सरकार इस योजना को बंद करने की तैयारी कर रही है.
तीन महीने के लिए और बढ़ाया
अब सूखे जैसी स्थिति के साथ-साथ बिगड़ते कृषि संकट में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस तरह की एक आवश्यक योजना को वापस लेने के सरकार के कदम की आलोचना की है. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2021 के अंत में मुफ्त राशन योजना को वापस लेने का फैसला किया था लेकिन उसने इस योजना को होली तक बढ़ा दिया था. सरकार ने मुफ्त राशन सूची में चावल और गेहूं के साथ तेल, नमक और दाल को भी शामिल किया था. फिर मार्च महीने में चुनाव जीतकर सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने इस योजना को तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया था.