दिवंगत अभिनेता दीप सिद्धू के भोग पर आज केसरिया मार्च निकाला जा रहा है। लाखों की संख्या में प्रदेश से और पड़ोसी राज्यों से आए नौजवान हाथों में केसरिया झंडा लेकर सड़कों पर उतरे हैं। एक्टर की मौत पर सहानुभूति की ऐसी लहर देखने को मिल रही है कि हर किसी की आंखें नम हैं।
नौजवान और किसान अपने दोपहिया वाहनों, कारों, ट्रैक्टर-ट्रालियों पर सवार होकर मार्च निकाल रहे हैं और फतेहगढ़ साहिब की तरफ बढ़ रहे हैं। केसरिया मार्च अमृतसर से शुरू हुआ था और यह ब्यास, जालंधर, फगवाड़ा, गोरायां, लुधियाना, खन्ना, साहनेवाल होते हुए फतेहगढ़ साहिब जाएगा।
शहीदों की अंतिम अरदास नहीं होती, याद करने पर खुद अरदास होती हैः मान
शूरवीर योद्धा जब शहीद होते हैं तो उनकी कभी अंतिम अरदास नहीं होती। जब भी उन्हें याद करते हैं तो अंदर अरदास होती है। उन्होनें कहा कि जैसे संत जरनैल सिंह भिंडरावाले को जब भी याद करते हैं तो अरदास होती है। सरदार दीप सिंह बहुत कुछ अपनी छोटी उम्र में हासिल किया। जब सिख कौम अपनी आजादी की लडाई लड़ रही थी तब उनके परिवार को बहुत कष्ट झेला था। इनकी जमीनों को फौज खराब कर देती थी। फसल पैदा नहीं करने देती थी। यह बहुत कष्टकारी समय से निकले हैं। इसी दौरान दीप सिद्धू को परिवार ने निकाल कर शिमला के विशप कॉटन स्कूल में पढ़ने भेज दिया। वहां निकलने के बाद दीप लंदन के किंग्स कालेज में पढ़ाई की। वहां से वकालत की डिग्री हासिल की।
उनकी बहुत बड़ी कुर्बानी है कि उन्होंने सिख कौम की सेवा के लिए अपना सबकुछ त्याग दिया था। उन्होंने कहा कि जब देश आजादी के बाद बंटवारा हुआ को उसमें वकीलों ने अहम भूमिका निभाई। जिन्ना, महात्मा गांधी और नेहरू सभी इंग्लैंड से वकालत करके आए थे। हिंदुओं ने अपना देश ले लिया और मुस्लमानों ने पाकिस्तान बना दिया। मान ने कहा कि काश उस वक्त हमारा भी दीप सिंह सिद्धू जैसा वकील होता तो हमें आज इतनी लंबी लड़ाई न लड़नी पड़ती। उन्होंने कहा कि नेहरू और गांधी ने सिखों के हिंदुओं के साथ चलने के लिए कहा और वादा किया था कि उन्हें अलग राष्ट्र देंगे लेकिन सब वादे से मुकर गए।
हमारे नेताओं ने इतने पर भरोसा करके गलती की। आजादी के बाद सिख जो पाक में ररहते हैं वह मुस्लमानों के और भारत में हिंदुओं के गुलाम हैं। हमारे पास से आजादी चली गई है। पर आज भी वह समय है कि हम लड़ रहे हैं कि हम आजाद हों। इसमें दीप ने बहुत बड़े काम किए हैं। उन्होनें समझाया है कि किस तरीके औप कानून से हम अपनी आजादी ले सकते हैं। उनके साथ बहुत गहराई में बातें हुई। भिंडरावाले की सोच को लेकर 1984 के बाद चल रहे हैं। दीप सिंह सिद्धी ने भी वही सोच अपना ली थी। उनकी सोच के साथ हमने बहुत बड़े कदम उठाने थे।
दीप सिद्धू के हुक्म पर फहराया गया था लाल किले पर निशान साहिब
मान ने खुलासा किया कि 26 जनवरी को जब लाल किले पर केसरिया निशान साहिब दीप सिंह सिद्धू के हुक्म पर फहराया गया था। उन्होंने कहा कि जिस युवक जुगराज सिंह ने झंडा फहराया था उसने दीप के हुक्म की पूरी पालना की थी। इससे पहले बाबा बघेल सिंह ने 1743 में लाल किले पर झंडा चढ़ाया था। मान ने कहा कि सरदार दीप सिदेधू सिंह ने 26 जनवरी जिस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था उस दिन लाल किले पर झंडा फहराकर इतिहास रचा है। उन्होंने झंडा फहरा कर साबित किया है कि सिंह किसी के गुलाम नहीं है।
संविधान पर नहीं है सिख नेताओं के हस्ताक्षर
मान ने कहा कि संविधान बनाने वाली कमेटी में दो वकील सरदार हुकम सिंह औप भूपिंदर सिंह मान थे। उन्होंने देखा कि संविधान तो पूरी तरह से हिंदुवादी है उन्होंने जो सिख कौम के लिए संविधान में डालने के लिए कहा था वह नहीं है। इसके बाद दोनों संविधान में हस्ताक्षर नहीं किए थे। यह बहुत बडडी बात है।
दुर्घटना पर उठाए सवाल
सिमरनजीत सिंह मान ने दुर्घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह हादसा नहीं बल्कि करवाया गया हादसा है। उन्होनें कहा कि जिस दिन एक्सीडेंट हुआ बहुत कुछ रह गया है। यह हादसा करवाया गया है। जिस दिन दीप को गिरफ्तार किया उन्हें तीन दिन खाना नहीं दिया। सोने नहीं दिया, सभी एजेंसियों ने पूछताछ की। उन्होंने सिखी सोच को किसी के आगे कुर्बान नहीं होने दिया। डीजीपी दिल्ली ने भी सिद्धू से पूछताछ की। लेकिन दीप सिद्धू ने कौम का सिर नहीं झुकने दिया।
उन्होनें कहा कि घटना वाले दिन दीप की गाड़ी के पीछे सरकारी गाड़ी लगी हुई थी। गाड़ी में सवार लोग ट्रक ड्राइवर के साथ संपर्क में थे। आगे ट्रक वाले ने अचानक ब्रेक मारी। जिससे उनकी गाड़ी पीछे से लग गई। जब गाडड़ी के के आगे कुछ आया ही नहीं था तो फिर ट्रक ड्राइवर ने ब्रेक क्यों लगाई थी। इसके अलावा दीप के सिर पर एक बड़ा छेद था। जब ट्रक में सरिया या लोहे का सामान ही लोड नहीं था तो फिर दीप के सिर में छेद कैसे पड़ गया। एसे बहुत सारी बाते हैं जो घटना को सवालों के कठघरे में घेरती हैं।
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भाजपा नेता ग्रेवाल ने लगाए साजिश के आरोप
भाजपा नेता हरजीत ग्रेवाल ने दीप सिद्धू के भोग पर इतनी भीड़ जुटने को एक साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि भोग पर इस तरह मार्च निकालना और इस तरह सड़कों पर उतरना कोई साजिश ही लग रहा है। दीप सिद्धू यूथ आइकॉन नहीं थे। हालांकि हादसा में उनकी जान गई, लेकिन मामले की हर एंगल से जांच होनी चाहिए।
सुरक्षा एजेंसी की नजर नहीं भीड़ पर
एक तरफ जहां दीप सिद्धू के भोग पर केसरिया मार्च के रूप में लाखों लोग जुटे हैं, वहीं हैरानी की बात यह है कि इस भीड़ पर सुरक्षा एजेंसियों की भी नजर नहीं है। न ही किसी तरह की पुलिस सुरक्षा व्यवस्था नजर आ रही है। क्या भीड़ जुटाने से पहले किसी की परमिशन ली गई? आखिर किसकी अनुमति से यह मार्च निकाला जा रहा है।
फतेहगढ़ साहिब में अंतिम अरदास और भोग
अभिनेता संदीप सिंह उर्फ दीप सिंद्धू की अंतिम अरदास और भोग का कार्यक्रम गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब में चल रहा है। एक्टर की अंतिम अरदास में भाग लेने के लिए पंजाब के कोने-कोने से और पड़ोसी राज्यों से उनके प्रशंसक, किसान आंदोलन से जुड़े लोग, महिलाएं फतेहगढ़ साहिब पहुंचे हुए हैं। खालसा एड और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने शोक सभा में आने वाली संगत के लिए लंगर का प्रबंध किया है।
दीवान टोडर मल हॉल में किए गए प्रबंध
बुधवार दोपहर से ही लोग पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से फतेहगढ़ साहिब पहुंच गए थे। रात में भी काफी संख्या में लोग पहुंच गए थे। संगत में काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। गुरुघर में ही दीवान टोडर मल हाल में प्रबंध किए गए हैं।
एसजीपीसी की तरफ से की गई व्यवस्थाएं
दीप सिद्धू के भोग में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और खालसा एड भी शमूलियत करेगी। एसजीपीसी और खालसा एड की तरफ से आने वाली संगत के ठहरने के लिए प्रबंध किए गए हैं। दीवान टोडर मल हाल में नीचे गद्दे लगाकर बैठने का प्रबंध किया गया है। साथ ही लंगर का प्रबंध भी किया जा रहा है। लोग सिर्फ पंजाब से ही नहीं आ रहे हैं, बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी किसान संगठन शोक सभा में आए हैं।
5 लाख लोगों के पहुंचने की उम्मीद
दीप सिद्धू की अंतिम अरदास और भोग के लिए प्रबंधों में जुटे पंजाबी और हिंदी फिल्मों के अभिनेता दिलजीत कलसी ने कहा कि दीप सिद्धू कौम का हीरा था। दीप सिद्धू की अंतिम अरदास में भाग लेने के लिए पूरे पंजाब ही नहीं, बल्कि साथ लगते राज्यों से भी काफी लोग आए हैं। उन्होंने सभी आने वालों से आग्रह किया कि हमारी कौम अनुशासन के लिए भी जानी जाती है और सभी अनुशासन बनाए रखें। आने वाली संगत के लिए एसजीपीसी और खालसा एड मिलकर लंगर का प्रबंध कर रहे हैं।