बिकरू कांड के मुख्य आरोपित कुख्यात विकास दुबे की 10 जुलाई 2020 को पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत मामले में न्यायिक आयोग ने उप्र पुलिस को क्लीन चिट दे दी है। इस मामले में कोई गवाह सामने नहीं आया।
पुलिस के खिलाफ किसी ने नहीं दी गवाही
उत्तर प्रदेश के कानपुर वाले कुख्यात विकास दुबे के मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाले न्यायिक आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। आयोग की रिपोर्ट गुरुवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा के पटल पर रखी गयी।
सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस चौहान, हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल, सेवानिवृत्त डीजीपी केएल गुप्ता वाले न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि विकास दुबे और उसके सहयोगियों के पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत में पुलिस का पक्ष, घायल हुए पुलिस वालों की मेडिकल रिपोर्ट और पुलिसकर्मियों के बयानों के विपरीत अपना पक्ष रखने के लिए कोई गवाह सामने नहीं आया।
गवाहों में विकास दुबे का कोई रिश्तेदार तक शामिल नहीं हुआ। यहां तक कि विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे ने भी आयोग के सामने आकर गवाही नहीं दी। न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण में उत्तर प्रदेश पुलिस को क्लीन चिट मिल गई है और उम्मीद है कि इसके बाद आरोपों से घिरी हुई पुलिस चैन की सांस लेगी।
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रिपोर्ट के एक पहलू में यह भी है कि उत्तर प्रदेश पुलिस को मजबूत करने के लिए कमिश्नरेट प्रणाली का ज्यादा से ज्यादा उपयोग होना चाहिए।