घर-घर जाकर टीबी के मरीजों को चयनित करने का यूपी सरकार चला रही अभियान

क्षय रोग से ग्रसित बच्चों एवं आगनवाड़ी केन्द्रों को गोद लेकर उनकी जरूरतों को पूरा करने में उद्यमियों को अपने सामाजिक दायित्व की पूर्ति करनी चाहिए। यह विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज वाराणसी स्थित सर्किट हाउस सभागार में वाराणसी के साड़ी इडस्ट्रीज व माइक्रो स्माल एण्ड मीडियम इण्टर प्राइजेज उद्यमियों के संघ हुई बैठक के दौरान कही। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लोगों का सहयोग करने के लिए किसी को निमंत्रण नहीं दिया गया था फिर भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप लोगों ने स्वयं आगे आकर हर स्तर पर सहयोग किया, जिसे पूरी दुनिया ने देखा और हम इस क्षेत्र में विश्व में सबसे आगे रहे।


राज्यपाल ने कहा कि हमारे नन्हे-मुन्ने बच्चे ही देश के भविष्य हैं। जब वही कुपोषित होंगे, तो भविष्य कैसे बनेगा। देश की जितनी आबादी है, सरकार अपने स्तर पर हर क्षेत्रों में बहुत बड़े पैमाने पर लोगों के जीवन स्तर को सुधारने एवं सामाजिक कार्यों को कर रही है। लेकिन इस कार्य में समाज के उद्यमियों एवं प्रबुद्ध जनों को भी बढ़ चढ़कर आगे आकर अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण की बात सामने आने पर अनेक एनजीओ ने आगे आकर इस कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और आज वर्तमान समय में शत-प्रतिशत शौचालय का निर्माण हो गया। अन्यथा शौचालयों के निर्माण कराने में ही कई वर्ष लग जाते।


आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्व को वर्ष 2030 तक टीबी से मुक्त करने की घोषणा की गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोचा कि तब तक हमारे कितने बच्चों की मौत हो जाएगी और इसलिए उन्होंने भारत को वर्ष 2025 तक पूरी तरह टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। चिकित्सा व्यवस्था एवं लोगों के सहयोग से 2025 तक भारत वास्तविक रूप में टीबी मुक्त हो जाएगा। उन्होंने उद्यमियों से जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा से संपर्क कर टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेकर उनकी देखरेख तथा पौष्टिक आहार उपलब्ध कराए जाने पर जोर देते हुए कहा कि टीबी से ग्रसित बच्चों को समय से दवा व पौष्टिक आहार मिलता रहे, तो वे आगामी 6 माह के अन्दर टीबी रोग से मुक्त हो जायेंगे। टीबी ग्रसित गोद लिए गए बच्चों के घरों पर जब जाकर उनकी देखरेख की जाएगी, तो उनमें और उनके अभिभावकों से भावनात्मक जुड़ाव पैदा होगा।

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राज्यपाल ने कहा कि टीबी के बच्चों को घरों में ही कैद न किया जाए बल्कि उन्हें स्कूलों में भी भेजा जाए। जिससे उनकी शैक्षणिक गतिविधि किसी भी दशा में रुकने न पाए। उन्होंने बताया कि पूरे भारत के 20 फीसदी टीबी ग्रसित बच्चे उत्तर प्रदेश में हैं। टीबी से ग्रसित मरीजों को चिन्हित करके यदि उन्हें समय से अस्पताल पहुंचाया जाए और उनका देखरेख किया जाए, तो वे आगामी 5 से 6 माह के अंदर टीबी रोग से मुक्त हो जाते हैं। टीबी के मरीजों को घर-घर जाकर चयनित करने का उत्तर प्रदेश सरकार ने अभियान चलाया है। राज्यपाल ने उद्यमियों से आंगनवाड़ी केंद्रों को गोद लेकर वहां पर बच्चों को बैठने के टेबुल, बेंच, किताबें एवं खिलौना आदि की उपलब्धता पर विशेष जोर दिया, जिससे आंगनवाड़ी केंद्रों के प्रति लोगो एवं नौनिहालों में रुझान पैदा हो सके। उन्होंने कहा कि महिलाएं व बच्चे हमारा स्तंभ स्वरूप है। हमारी बच्चियां कमजोर होंगी तो भारत को मजबूत नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने बच्चों को संस्कारी बनाए जाने पर भी विशेष जोर दिया।


इस अवसर पर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, बनारसी साड़ी के निर्माता सर्वेश श्रीवास्तव सहित विभिन्न उद्यमी संगठनों के पदाधिकारी एवं उद्यमी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।