भारतीय संस्कृति में वास्तु शास्त्र की तरह ही चीनी संकृति में फेंगसुई शास्त्र होता है। दोनों में ही कोई खास अंतर नहीं है। लेकिन देशी फेंगशुई कहें या फिर बात करें हमारे शास्त्रों में पहले से ही दर्ज की कई व्यवस्थाओं की, वे आज के फेंगशुई से ज्यादा बेहतर और प्रभावकारी हैं। इनमें से कुछ हैं दर्पण, काले घोड़े की नाल और घंटी। हमारे जीवन में ये कुछ ऐसी अनोखी वस्तुएं हैं जिनका हम नित्य प्रयोग करते हैं। किंतु उनके उपयोगी उपायों को कम लोग ही जानते हैं। आइये जानते है, दर्पण, घंटी और घोड़े की नाल का महत्व।
दर्पण: चेहरा देखने वाला दर्पण वास्तु शास्त्र में बहुत ही उपयोगी माना गया है। दिशाओं को बढ़ाने का भ्रम करने वाला यह दर्पण कई बार तो चौकाने वाले प्रभाव दिखाता है। यदि घर का उत्तर पूर्व का कोना कटा हुआ है तो उस दिशा में एक बड़ा लुकिंग मिरर लगा देने से दिशा भ्रम हो जाता है। वह दिशा बढ़ती हुई प्रतीत होती है। इससे उसका वास्तु दोष समाप्त हो जाता है। यदि घर के सामने कोई खंबा, पेड़, किसी मकान का कोना, कूड़, खंडहर हो तो घर के मुख्य द्वार की चौखट के ऊपर एक गोल शीशा लगा देने से घर में आने वाली नकारात्मक शीशे से टकराकर बाहर चली जाती है। डाइनिंग रूम में उत्तर-पूरब की दीवार पर ओवल शेप का एक बड़ा शीशा लगा देना चाहिए, इससे भोजन करने वालों का और भोजन का प्रतिबिंब उसमें दिखाइए इससे घर में समृद्धि बढ़ती है। ड्रेसिंग रूम में शीशा सदैव उत्तर अथवा पूर्व की दीवार पर ही लगाना शुभ होता है। भूलकर भी शीशे को दक्षिणी दीवार पर न लगाएं। कभी भी शयन कक्ष में शीशा न लगाएं उस कक्ष में सोने वाले व्यक्तियों के संबंधों पर बुरा असर पड़ता है।
घंटी: घंटा अथवा घंटी ऐसी वस्तु है जो प्राय मंदिरों में और अपने घरों के मंदिर में आसानी से मिल जाती है। इसका प्रयोग हम आरती के समय या मंदिर में प्रवेश के समय,भगवान जी को भोग लगाने के समय करते हैं। इसके अलावा भी घंटी के कई उपयोग हैं। घंटी वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा भर देती है। जहां पर घंटी या घंटे की ध्वनि होती है वहां से नकारात्मक शक्तियां दूर चली जाती हैं। इसलिए हमें प्रात:काल उठकर स्नान करने के बाद अपने घर की घंटी को घर के मुख्य द्वार और मंदिर में अवश्य बजाएं। घर के मुख्य द्वार में के सामने दो अथवा तीन द्वार एक सीध में हो तो एक पीतल की छोटी घंटी बीच के द्वार पर टांग दें। यदि आपके छोटे बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं तो एक उपाय करें। जब वह अपनी पढ़ने को बैठें तो कम से कम एक मिनट पीतल की घंटी उसकी स्टडी टेबल के पास बजाएं। वहां का वातावरण हो उर्जित हो जाएगा और बच्चों का मन एकाग्र होकर पढ़ाई में लगेगा।
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काले घोड़े की नाल: प्राचीन काल से ही घोड़े की नाल अथवा नाव की कील को बहुत ही मान्यता प्राप्त हुई है। घोड़े की नाल घोड़े के पैर में रहती है और घिस-घिसकर ऊर्जावान हो जाती है। इसी प्रकार नाव की कील लगातार पानी के थपेड़े खाकर के ऊर्जित हो जाती है। यदि काले घोड़े की नाल मिल जाए तो बहुत अच्छी होती है। घर के द्वार के वास्तु दोष को समाप्त करने के लिए घर के द्वार पर टांग देते हैं। U शेप की घोड़े के नाल घरों में नीचे की ओर करके लगाते हैं। फैक्ट्री अथवा कार्यालय में ऊपर की ओर करके लगाते हैं। ऐसा माना जाता है घोड़े की नाल से घर हमारा बुरी ऊर्जाओं से संरक्षित हो जाता है। शनि की महादशा अथवा साढ़ेसाती के समय घोड़े की नाल की अंगूठी या छल्ला बनाकर भी लोग पहनते हैं।