महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के गृह निर्माण मंत्री एवं राकांपा नेता जीतेंद्र आव्हाड के टाटा कैंसर अस्पताल के मरीजों के रिश्तेदारों को किराए पर दिए जाने वाले घर संबंधी निर्णय पर रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दिया है। मुख्यमंत्री का निर्णय महाविकास आघाड़ी सरकार में अनबन के रूप में देखा जा रहा है।
मंत्री आव्हाड ने टाटा कैसर अस्पताल में दूर-दराज के इलाकों से आने वाले मरीजों के रिश्तेदारों को ठहरने के लिए महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथारिटी (म्हाडा) के 100 घर टाटा अस्पताल को दिए जाने का निर्णय लिया था। आव्हाड ने कहा था कि मुंबई के टाटा कैंसर अस्पताल में देश के सभी हिस्से से मरीज इलाज करवाने आते हैं। इन मरीजों के रिश्तेदारों को मुंबई में रहने की जगह न मिलने से इन्हें टाटा अस्पताल के बाहर सड़कों पर ही रहना पड़ता है। इससे कैंसर पीड़ित मरीजों के रिश्तेदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से मानवता की दृष्टि से म्हाडा 100 घर टाटा अस्पताल को मुफ्त में दे रही है। इन घरों के रखरखाव एवं इन्हें कैंसर मरीजों के रिश्तेदारों को आवंटित करने जिम्मेदारी टाटा कैंसर अस्पताल की रहेगी।
शिवड़ी विधानसभा क्षेत्र के शिवसेना विधायक अजय चौधरी ने गृह निर्माण मंत्री आव्हाड के इस निर्णय का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री ठाकरे को पत्र लिखा था। विधायक चौधरी ने कहा कि जिस सोसाइटी में 100 घर टाटा कैंसर अस्पताल को दिए गए हैं, वहां 700 परिवार रहते हैं। गृह निर्माण विभाग के निर्णय से सोसाइटी में डर का माहौल है, इसलिए इस निर्णय को रद्द कर दिया जाना चाहिए। इसी वजह मुख्यमंत्री ने गृह निर्माण मंत्री आव्हाड के इस निर्णय पर रोक लगा दी है और मामले की जांच का आदेश जारी दिया है।
यह भी पढ़ें: डॉन दाउद इब्राहिम का भाई चढ़ा एनसीबी के हत्थे, सामने आया टेरर और अंडरवर्ल्ड कनेक्शन
महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल तीनों प्रमुख दलों- शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस में इस समय तनाव की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के अपने बल पर चुनाव लड़ने संबंधी बयानबाजी के बाद शिवसेना और राकांपा नाराज हैं। इसी प्रकार हाल ही में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कांग्रेस और राकांपा पर शिवसेना को कमजोर करने का आरोप लगाया है। सरनाईक ने शिवसेना को भाजपा के साथ अपने पुराने संबंध मधुर करने का भी सुझाव दिया है। इन घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री ठाकरे द्वारा मंत्री आव्हाड के निर्णय पर रोक लगाने संबंधी कदम को महाविकास आघाड़ी में अनबन के रूप में देखा जा रहा है।