नई दिल्ली। लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि 21वीं शताब्दी के भारत में भी जाति व्यवस्था कायम है। उन्होंने कहा कि देश में दो प्रकार के हिंदू हैं- एक वह जो मंदिर जा सकते हैं और दूसरे वह जो नहीं जा सकते। दलित समुदाय से आने वाली और पूर्व राजनयिक, कुमार ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि बहुत से लोगों ने उनके पिता बाबू जगजीवन राम से ‘हिंदू धर्म छोड़ने’ को कहा था क्योंकि उन्हें जाति के कारण भेदभाव झेलना पड़ता था। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने कहा कि वह अपना धर्म नहीं छोड़ेंगे और जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ेंगे। कुमार ने कहा कि उनके पिता यह पूछते थे कि क्या ‘धर्म बदलने से किसी की जाति बदल जाती है।’ कुमार ने राजेंद्र भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में यह कहा।
उनसे पहले राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने अपनी नयी पुस्तक ‘द लाइट ऑफ एशिया:द पोएम दैट डिफाइंड बुद्धा’ पर एक व्याख्यान दिया। लाइट ऑफ एशिया’ किताब सर एडविन अर्नोल्ड ने लिखी थी जो पहली बार 1879 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक में बुद्ध के जीवन को एक कविता के रूप में प्रस्तुत किया गया था।रमेश ने कहा कि उनकी पुस्तक उस कविता पर लिखी गई है और एक तरह से उस व्यक्ति की भी जीवनी है जिसने बुद्ध के ‘मानवता के पक्ष’ को देखा न कि उनके ‘दैव पक्ष’ को।
उन्होंने कहा, ‘जहां तक बिहार के बोध गया में स्थित महाबोधि मंदिर के प्रबंधन का प्रश्न है, मेरी पुस्तक हिंदू-बौद्ध संघर्ष के समझौते की बात भी करती है। यह किताब लिखने का एक कारण यह भी था कि मैं अयोध्या के संदर्भ में दोनों धर्मों के बीच संघर्ष के समाधान को समझना चाहता था।