कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन से जुड़ा टूलकिट केस अब और भी ज्यादा पेंचीदा हो गया है। दरअसल, इस मामले में अब एक ऐसे व्यक्ति का नाम सामने आ रहा है, जिसे इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस मामले की पूरी रूपरेखा पीटर फैड्रिक नाम के शख्स ने तैयार की थी। हालांकि अभी पीटर फैड्रिक पुलिस की पकड़ से दूर है।
टूलकिट मामले में पुलिस ने किया चौंकाने वाला खुलासा
इस बारे में जानकारी देते हुए दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि पीटर फैड्रिक साल 2006 से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। पुलिस के मुताबिक पीटर फैड्रिक बताता था कि सोशल मीडिया पर किसे टैग करना है, क्या हैशटैग करना है और किस पोस्ट को ट्रेंड करवाना है। पीटर फैड्रिक खालिस्तानी आतंकी भजन सिंह भिंडर का साथी है। भजन सिंह आईएसआई के लिए भी काम कर चुका है।
इसके पहले टूलकिट मामले में तीन नाम सामने आये थे। इनमें दिशा रवि, निकिता जैकब और शांतनु शामिल हैं। दिल्ली पुलिस ने इन तीनों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन अभी भी निकिता जैकब और शांतनु की तलाश जारी है। पीटर फैड्रिक खालिस्तानी आतंकी भजन सिंह भिंडर का साथी बताया जा रहा है। भजन सिंह आईएसआई के लिए भी काम कर चुका है।
आपको बता दें की किसान आंदोलन को हथियार बनाकर देश को बनदाम करने के लिए टूलकिट की साजिश रची गई थी।
बताया जा रहा है कि खालिस्तानी संगठन पोएटिक फाउंडेशन के संस्थापक एमओ धालीवाल ने निकिता से पुनीत के मार्फत संपर्क किया था। यह लोग गणतंत्र दिवस से पहले किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर संदेश प्रसारित करना चाहते थे। इस बाबत धालीवाल, निकिता, शांतनु, दिशा सहित कई अन्य लोगों की ज़ूम ऐप पर मीटिंग हुई थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने निकिता जेकब के घर से कई इलेक्ट्रानिक्स उपकरण की छानबीन की है।
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दिल्ली पुलिस के अनुसार टूलकिट मामले की जांच टीम दोबारा निकिता जेकब के घर गई थी लेकिन निकिता घर पर नहीं थीं। दिल्ली पुलिस का कहना है कि टूलकिट के पूरे मामले में दिल्ली पुलिस को खालिस्तानी एंगल भी मिला है। पुलिस के मुताबिक, ये खलिस्तानी ग्रुप को दोबारा खड़ा करने की बड़ी साजिश है। दिशा और टूलकिट से जुड़े अन्य लोग खालिस्तानी संगठन पोइटिक जस्टिस फाउंडेशन के धालीवाल के संपर्क में थे। हालांकि, दिशा ने धालीवाल या पोइटिक जस्टिस फाउंडेशन से किसी लिंक से इनकार किया है।