अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू में जून 2025 तक पूरा होना था, लेकिन संभवतः सितंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा। इस बात की जानकारी निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने दी। एक न्यूज एजेंसी के अनुसार उन्होंने कहा कि फिलहाल हम श्रमिकों की कमी का सामना कर रहे हैं, जिससे निर्माण में देरी हो रही है।
नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया कि मंदिर में लगभग 200 श्रमिकों की कमी है और समिति मंदिर की पहली मंजिल पर कुछ पत्थरों को बदलने की भी योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि पहली मंजिल पर कुछ पत्थर कमजोर और पतले दिखाई दे रहे हैं, उन्हें नए पत्थरों से बदलने से संरचना की स्थायित्व सुनिश्चित होगी।
मंदिर की चारदीवारी के निर्माण के लिए करीब 8.5 लाख घन फीट लाल ‘बंसी पहाड़पुर’ पत्थर मंगाए गए हैं। पर्याप्त श्रमिकों की कमी के कारण इसके निर्माण में देरी हो रही है।
हाल ही में हुई बैठक में समिति ने सभागार, बाउंड्री और परिक्रमा पथ सहित अन्य संरचनाओं के निर्माण की स्थिति की भी समीक्षा की।
दिसंबर तक आएंगी आसपास के मंदिरों की मूर्तियां
मंदिर को भगवान राम के दरबार और आसपास के छह मंदिरों के लिए जयपुर के उत्पादन केंद्रों से मूर्तियों का भी इंतजार है। इन मूर्तियों के दिसंबर तक अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है। मंदिर ट्रस्ट द्वारा पहले ही स्वीकृत की गई राम लला की दो मूर्तियों को भी प्रमुख स्थानों पर स्थापित किया जाना है।
मिश्रा ने कहा कि मूर्तिकार ने हमें आश्वासन दिया है कि सभी मूर्तियां साल के अंत तक पूरी हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में उनकी स्थापना के बारे में अंतिम निर्णय बाद में लिया जाएगा।
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समिति के अध्यक्ष ने भीड़भाड़ की समस्या को भी स्वीकार किया और कहा कि आगंतुकों के लिए सुगमता बढ़ाने के लिए योजनाओं पर विचार किया जा रहा है। आगंतुकों की दैनिक संख्या बढ़ाने के लिए भी चर्चा चल रही है।