देश में आज यानी की 1 जुलाई को ‘राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस’ मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत साल 1991,1 जुलाई में हुई थी। यह दिन एक जाने माने प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. बिधान चंद्र रॉय के खास सम्मान में मनाया जाता है। क्योंकि यह दिन उन सभी डॉक्टर्स को खासतौर से समर्पित होता है जो दिन रात लोगों की सेवा के लिए खुद को तैयार रखते हैं। आपको बता दे इस साल डॉक्टर्स डे की थीम ‘Celebrating Resilience and Healing Hands’ है। बच्चे के जन्म से लेकर बुजुर्ग होने तक सभी को स्वस्थ रखने में डॉक्टर्स की बहुत बड़ी और खास भूमिका होती है। यहां हम आपको उन डॉक्टर्स के बारे में बताने वाले हैं जो बच्चियों के जन्म पर फीस नहीं लेते हैं।
डॉक्टर शिप्रा धर
आपको बता दे, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से एबीबीएस और एमडी की पढ़ाई पूरी करने वालीं डॉ शिप्रा धर की तारीफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। डॉ शिप्रा धर वाराणसी की रहने वाली हैं। वह वाराणसी में अपने पति एम.के श्रीवास्तव के साथ मिलकर एक नर्सिंग होम चलाती हैं। जहां अबतक तकरीबन 100 से भी ज्यादा नवजात शिशु का जन्म कर चुकी हैं। डॉ शिप्रा धर कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और लड़कियों को बढ़ावा देने के लिए कई मुहिम से भी जुड़ी हुई हैं और इसी के साथ साथ इन सबमें वह काफी एक्टिव भी रहती हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि आज तक वह अपने नर्सिंग होम में बेटी के जन्म पर एक भी रुपया फीस का चार्ज नहीं की हैं। आपको बता दे शिप्रा धर से पीएम मोदी की मुलाकात वाराणसी में हुई थी।
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डॉक्टर गणेश रख
पुणे के एक डॉक्टर गणेश रख का भी ऐसे महान कामों में दर्ज है। आपको बता दे, डॉक्टर गणेश रख भी अबतक बेटियों के जन्म पर फीस में एक भी रुपया नहीं लेते हैं। डॉक्टर गणेश रख लोगों को कन्या भ्रूण हत्या को लेकर भी जागरुक करते हैं। एक इंटरव्यू में डॉक्टर गणेश रख ने बताया था कि लड़का पैदा होने पर लोग खुशी से अस्पताल आते थे और बिल चुकाते थे लेकिन लड़की के जन्म पर लोग दुखी हो जाते थे। जिसके बाद उन्होंने लोगों से बेटियों के जन्म पर फीस लेना बंद कर दिया और ‘बेटी बचाओ जनआंदोलन’ से जुड़ गए।