देश का नाम विदेशों में रोशन करने का, ओलिंपिक में भारत की धाक दिखाने जैसे बड़े बड़े सपने देखने वाली भारतीय खिलाड़ी गीता कुमारी के लिए आज यह मात्र एक सपना ही बनकर रह गया है। झारखंड की एथलीट गीता कुमारी को आर्थिक परेशानियों के कारण रामगढ़ जिले की गलियों में सब्जी बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। राज्य स्तर पर 8 गोल्ड मेडल जीत चुकी गीता के भविष्य को सुनहरा माना जा रहा था।

उन्हें भारत का भविष्य माना जा रहा था, मगर आर्थिक तंगी ने उन्हें ट्रैक से बाहर गली, सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है। हालांकि अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हस्तक्षेप के बाद गीता को रामगढ़ जिला प्रशासन से 50 हजार रुपये और एथलेटिक्स करियर को आगे बढ़ाने के लिए 3 हजार रुपये का मासिक स्टाइपेंड पाने में मदद मिली।
सोरेन को कुछ दिन पहले ट्विटर के जरिए जानकारी मिली थी कि गीता वित्तीय समस्याओं के कारण सड़क किनारे सब्जी बेचने को मजबूर हैं। मुख्यमंत्री ने रामगढ़ के उपायुक्त को गीता की आर्थिक रूप से सहायता करने का निर्देश दिया, ताकि वह अपने एथलेटिक्स करियर को आगे बढ़ा सके।
ये हैं गीता की उपलब्धियां
रामगढ़ डीसी के आधिकारिक ट्वीट से जानकारी दी गई कि डीसी संदीप सिंह ने सोमवार को गीता को 50 हजार रुपये का चेक दिया और एथलीट को 3,000 रुपये मासिक स्टाइपेंड देने की भी घोषणा की।
खेल की दुनिया में एथलीट की सफलता की कामना करते हुए उपायुक्त ने कहा कि रामगढ़ में कई खिलाड़ी हैं जो देश के लिए सफलता हासिल करने में सक्षम हैं और प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें समर्थन मिले।
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गीता के चचेरे भाई धनंजय प्रजापति ने कहा कि वह सब्जी बेचने के साथ हजारीबाग जिले के आनंद कॉलेज में बीए अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है और अब प्रशासन की मदद मिलने से वह खुश हैं। विज्ञप्ति के मुताबिक गीता ने राज्य स्तर पर चलने वाली प्रतियोगिताओं में आठ स्वर्ण पदक हासिल किए हैं। उन्होंने कोलकाता में आयोजित प्रतियोगिताओं में एक रजत पदक और एक कांस्य पदक जीता था।
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