ब्लैक फंगस की दवा की कालाबाजारी करने वाला निकला भाजपा का नेता, हुआ बड़ा खुलासा

जहां एक तरफ लोग कोरोना के इस संकटकाल में एक-दूसरे की मदद कर रहे है, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इंसानियत के दुश्मन बन गए है,ऐसा ही एक मामला यूपी के कानपुर से सामने आया है जहां भाजपा नेता ही इस कालाबाजरी के धंधे में लिप्त पाया गया। कानपुर में गुरुवार को ब्लैक फंगस की कालाबाजारी करते हुए पकड़े गए दो शातिरों में से एक प्रकाश मिश्रा भाजपा का नेता है। प्रधानमंत्री मोदी भी उसे जन्मदिन पर बधाई दे चुके हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव व मंत्री सतीश महाना सहित कई बड़े भाजपा नेताओं के साथ उसके फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। बता दें कि प्रकाश भारतीय जनता युवा मोर्चा कार्यसमिति का सदस्य है।

कानपुर पुलिस ने ग्वालटोली चौराहे से दो शातिरों को गिरफ्तार कर 68 इंजेक्शन बरामद किए थे। आरोपी 11 से 15 हजार रुपये में एक इंजेक्शन बेचते थे। इनका नेटवर्क प्रदेश भर में फैला हुआ है। मुख्य ठिकाना प्रयागराज है।

पुलिस का दावा है कि इंजेक्शन नकली हैं। ड्रग विभाग के अफसरों ने सैंपल लिए हैं। बता दें कि एसीपी कर्नलगंज त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि ग्वालटोली चौराहे के पास से एसयूवी कार को रोका था। उसमें सवार यशोदा नगर निवासी प्रकाश मिश्रा और रतनदीप अपार्टमेंट निराला नगर निवासी ज्ञानेश शर्मा के पास से 68 एमफोनेक्स इंजेक्शन (एम्फोटेरेसिन बी साल्ट) बरामद हुए थे।

एक लाख 80 हजार रुपये की नकदी भी मिली थी। एसीपी के मुताबिक पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वाराणसी के एक डॉक्टर को सवा दो लाख रुपये में कुछ इंजेक्शन बेचे थे। पुलिस ने जब उस डॉक्टर व वाराणसी पुलिस से संपर्क किया तो पता चला कि इंजेक्शन नकली थे। एसीपी ने दावा किया है कि आरोपियों ने कबूला है कि इंजेक्शन नकली हैं, जिन्हें वे प्रयागराज से खरीदते हैं। अलग-अलग शहरों में कई गुने दाम पर बेचते हैं। ग्वालटोली थाने में आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

प्रयागराज के कई मेडिकल स्टोर संचालक संपर्क में

पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की और मोबाइल से काफी जानकारी निकाली। पता चला कि है आरोपी प्रयागराज के कई मेडिकल स्टोर संचालकों के संपर्क में हैं। उनके ही जरिये इंजेक्शन की खेप लाकर तस्करी करते थे। आरोपियों ने बताया कि वे खुद ही माल लेकर कानपुर आते थे। कभी-कभी ट्रक से भेजते थे। आशंका है कि काफी दिनों से आरोपी इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे थे। स्वाट और सर्विलांस टीम को भी लगाया गया है, जो पता करेगी कि नेटवर्क कहां तक फैला है। मुख्य आरोपी कौन हैं और ये इंजेक्शन कहां बनाए जा रहे हैं।

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शुरुआती जांच में पता चला है कि इंजेक्शन नकली हैं। इसकी पुष्टि के लिए ड्रग विभाग ने नूमने लिए हैं। पूरे गिरोह के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। इस मामले में भी आरोपियों पर एनएसए की कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि इस कृत्य से तमाम लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती थी।