जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर धमाकों के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादियों द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया। विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वीएसके कौमुदी ने कहा कि हमने आतंकवादियों को सीमा पार हथियारों की तस्करी के लिए मानव रहित हवाई वाहन का उपयोग करते देखा है।

‘नई टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग गंभीर खतरा’
विशेष सचिव वीएसके कौमुदी ने कहा, ‘आतंकवादी उद्देश्यों के लिए उभरती नई टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग आतंकवाद के सबसे गंभीर खतरों के रूप में उभरा है।’ उन्होंने कहा, ‘आज, आतंक के प्रचार, कट्टरता बढ़ाने और कैडर की भर्ती के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए नई भुगतान विधियों और क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग हो रहा।’
ड्रोन बन गया है बड़ा खतरा: भारत
आतंकवाद का वैश्विक संकट: नए दशक के लिए मौजूदा खतरों और उभरते रुझानों का आकलन पर बोलते हुए वीएसके कौमुदी ने कहा, ‘मौजूदा चिंताओं में ड्रोन भी जुड़ गया है, जो बड़ा खतरा है।’ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सदस्य देशों की आतंकवाद-रोधी एजेंसियों के प्रमुख के दूसरे उच्च स्तरीय सम्मेलन में कहा, ‘कम लागत वाला विकल्प और आसानी से उपलब्ध होने के कारण, आतंकवादी समूह ड्रोन को खुफिया संग्रह, हथियार / विस्फोटक तस्करी और हमलों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
खतरे से निपटने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण की जरूरत
उन्होंने कहा, ‘दुनियाभर के देशों के लिए यह अनिवार्य है कि वे नई टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग से उत्पन्न होने वाले वैश्विक खतरों से निपटने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाएं। विशेष रूप से आतंकवाद और आतंकी हमले को लेकर सतर्क होने की जरूरत है।’ भारत ने दुनिया से आह्वान किया कि वह आतंकवादी प्रेरणाओं, विशेष रूप से धर्म और राजनीतिक विचारधाराओं के आधार पर आतंकवाद का लेबल लगाने की प्रवृत्तियों के खिलाफ एकजुट रहें।
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भारत ने सोशल मीडिया को लेकर जताई चिंता
भारत ने चिंता व्यक्त हुए कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वैश्विक आतंकवादी समूहों के लिए उनके टूलकिट में अपरिहार्य संसाधन में बदल गए हैं, जो लोगों के बीच नफरत फैलाने, आतंकवादी प्रचार और साजिश के सिद्धांतों को फैलाने और कट्टरता बढ़ाने का काम कर रहे हैं। वीएसके कौमुदी ने महासभा को बताया, ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डीप फेक, ब्लॉकचेन, डार्क वेब जैसी विकसित टेक्नोलॉजी में निरंतर प्रगति आतंकवादियों द्वारा दुरुपयोग किए जाने के जोखिम से भरी हुई है।’
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