भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक शानदार वक्ता थे। उनके भाषण के सभी कायल थे। प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते रखने की कोशिश जरूर की। लेकिन कहीं ना कहीं पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ नापाक साजिश रचता रहा। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी को 2000 में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली के मिलेनियम समिट में भाग लेने का मौका मिला। यह समिट 8 सितंबर को ही हुआ था। इस दौरान प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर जबरदस्त तरीके से वार किया था। अपने वक्तव्य में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि शांति, लोकतंत्र और विकास के लिए कई अन्य खतरों में से कोई भी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद जितना खतरनाक नहीं है, जिसका संबंध धार्मिक उग्रवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध हथियारों के व्यापार से है।
पाकिस्तान पर हमला जारी रखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि एक दशक से अधिक समय से भारत सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है जिसने हजारों निर्दोष लोगों की जान ले ली है। हम एक जिम्मेदार लोकतंत्र के लिए उपलब्ध हथियारों से मानवता के खिलाफ इस अपराध से लड़ते रहे हैं। वाजपेयी जी ने जोर देते हुए कहा था कि भारत इन खतरों के खिलाफ एकजुट वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करता है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ व्यापक सम्मेलन को जल्दी से अपनाने और लागू करने का आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा था कि
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने संबोधन में इस हाई ट्रिब्यून से कई राजनेताओं ने अपना संबोधन दिया है। दुर्भाग्य से, उनमें से कुछ उपहास हैं। पड़ोसी मुल्क के नेता पर अपने शब्दों से तीखा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा था कि घर में लोकतंत्र का गला घोंटने वाले इस मंच से आजादी की बात करते हैं। जो लोग परमाणु हथियारों और वितरण प्रणालियों के गुप्त अधिग्रहण में लगे हुए हैं, वे दक्षिण एशिया को इनसे मुक्त करने की बात करते हैं। जिन लोगों ने पवित्र समझौतों का खंडन किया है वे युद्ध को रोकने के लिए नए समझौतों की बात करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री ने उस वक्त भी साफ तौर पर कहा था कि आतंकवाद और संवाद एक साथ नहीं चलते।
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अटल बिहारी वाजपेयी ने तंज कसते हुए कहा था कि एक शातिर आतंकवादी अभियान का लेखक भारत में 30,000 से अधिक निर्दोष लोगों के जीवन की बात करता है। उसने एक ऐतिहासिक शांति पहल को सक्रिय रूप से तोड़ दिया। अब बातचीत के लिए नई पहल की पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि दुनिया को वास्तविकता को वैसे ही देखना चाहिए जैसे वह है। ईमानदारी का परीक्षण शब्द से नहीं, बल्कि कर्म से होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से छोटे हथियारों और हल्के हथियारों के अंधाधुंध प्रसार और अवैध तस्करी के खिलाफ सामूहिक रूप से कार्रवाई करने का भी आग्रह करते हैं।