दिल्ली के जंतर-मंतर पर बीते दिनों धर्म विशेष के खिलाफ सांप्रदायिक नारेबाजी करने के आरोप में गिरफ्तार किये गए तीन आरोपियों को अब अदालत से भी तगादा झटका लगा है। दरअसल, इस मामले में पुलिस ने बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बार उपाध्याय को तो गिरफ्तारी के अगले दिन ही जमानत मिल गई। लेकिन अब अदालत ने तीन अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
अदालत ने की तख्ल टिप्पणी
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट उद्धव कुमार जैन की अदालत में तीन आरोपियों प्रीत सिंह, दीपक सिंह और विनोद शर्मा ने जमानत याचिका डाली थी। जिसे कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया। वहीं 11 अगस्त को अश्विनी उपाध्याय को कोर्ट ने जमानत दी थी। उस दौरान कहा था कि मौजूदा मामले में जांच प्रारंभिक चरण में है। इसका मतलब ये नहीं है कि किसी नागरिक की स्वतंत्रता को केवल दावे और आशंका से कम किया जा सकता है, जबकि पुलिस का आरोप है कि उपाध्याय कार्यक्रम के आयोजक और वक्ता थे।
मौजूदा मामले में अदालत ने कहा कि एक क्लिपिंग में अभियुक्त को जांच अधिकारी द्वारा पहचाना गया है। साथ ही वो तीखी टिप्पणी भी करता नजर आ रहा, जो इस देश के एक नागरिक के लिए अलोकतांत्रिक और गैर-जरूरी है, जहां संविधान में धर्मनिरपेक्षता जैसे सिद्धांत बुनियादी सुविधाओं के मूल्य को धारण करते हैं। धारा 153ए का मकसद धार्मिक/सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखना है। साथ ही ये प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य भी है।
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हालांकि प्रीत के वकील रुद्र विक्रम सिंह और अश्विनी दुबे ने अदालत को बताया कि वो घटना के समय मौजूद नहीं थे। वहीं दीपक के वकील ने कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। इन सब दलीलों को सुनने के बाद भी कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया।