उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों द्वारा लव जेहाद और अवैध धर्मांतरण के खिलाफ बनाए गए कानूनों के विरोध में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग राज्यों में बने कानूनों पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है। कोर्ट ने पहले यूपी और उत्तराखंड से जवाब मांगा था, आज हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश को भी पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने आज जमीयत उलेमा ए हिन्द को भी अपना पक्ष रखने की अनुमति दी।
सुप्रीम कोर्ट ने किया था कानूनों पर रोक लगाने से इनकार
पिछले 6 जनवरी को कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। याचिकाकर्ता ने क़ानून पर रोक लगाने की मांग की है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानून को चुनौती देने वाली याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट और उत्तराखंड हाईकोर्ट में लंबित हैं।
कोर्ट ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि अपनी याचिका अच्छी नहीं है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि इस कानून का असर पूरे समाज पर पड़ेगा, इसलिए वकील ने कानून पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि लोगों को परेशान किया जा रहा है। रोज़ खबर आ रही है कि लोगों को शादी से ज़बरदस्ती उठाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में जिन वकीलों ने याचिका दायर की है वे हैं विशाल ठाकरे, अभय सिंह यादव और प्राणवेश। याचिका में कहा गया है कि लव जेहाद के नाम पर यूपी और उत्तराखंड में बने ये कानून संविधान की मूल भावना का उल्लंघन हैं। याचिका में कहा गया है कि देश का संविधान देश के हर नागरिक को मौलिक अधिकार देता है। यूपी और उत्तराखंड में बने ये कानून स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं। इस कानून से उन लोगों में भय पैदा होगा, जो लव जेहाद में शामिल नहीं हैं लेकिन उन्हें इसमें फंसा दिया जाएगा।
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याचिका में कहा गया है कि ये कानून असामाजिक तत्वों का औजार बन जाएगा, जिसके जरिये वे लोगों को झूठे तरीके से फंसाएंगे। अगर यह कानून लागू होता है तो यह अन्याय होगा और इससे समाज में अराजकता फैलने की आशंका है। याचिका में दोनों राज्यों में लागू किए गए कानून को निरस्त करने की मांग की गई है।