सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर असंतोष जताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि क्या आरोपित आम व्यक्ति होता, तो उसे भी इतनी छूट मिलती। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि एसआईटी में सिर्फ स्थानीय अधिकारियों को रखा गया है। यह मामला ऐसा नहीं, जिसे सीबीआई को सौंपना सही नहीं रहेगा। हमें कोई और तरीका देखना होगा। डीजीपी सबूतों को सुरक्षित रखें। मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी।
लखीमपुर हिंसा को लेकर सरकार ने दिलाया कार्रवाई का भरोसा
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट को जरूरी कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास सैकडों ईमेल आए हैं। सबको बोलने की अनुमति नहीं दे सकते। कृपया हमें राज्य सरकार को सुनने दीजिए। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हरीश साल्वे से कोर्ट ने पूछा कि क्या राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है। तब साल्वे ने कहा कि नहीं। साल्वे ने कहा कि आप दशहरा की छुट्टी तक प्रतीक्षा कीजिए। उसके बाद ज़रूरी लगे तो सीबीआई को जांच सौंप दीजिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आपका आदर करते हैं। इसलिए टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। सीबीआई भी कोई हल नहीं है। आप जानते हैं क्यों, हमें कोई और तरीका देखना होगा।
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम छुट्टी के बाद मामला देखेंगे। तब तक आपको हाथ पर हाथ रख कर नहीं बैठना है। आप तेज़ कार्रवाई करें। जो अधिकारी काम नहीं कर रहे, उन्हें हटाइए। उन्होंने कहा कि हम राज्य सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं।
सात अक्टूबर को चीफ जस्टिस ने कहा था कि परसों दो वकीलों ने मुझे चिट्ठी लिखी थी। उनके नाम शिवकुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा हैं। कोर्ट ने उप्र सरकार को निर्देश दिया था कि दिवंगत लवप्रीत की मां बीमार हैं। कोर्ट ने लवप्रीत की मां को उचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान उप्र सरकार की वकील ने कहा था कि मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि आप कल तक स्टेटस रिपोर्ट दें और यह भी बताएं कि हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं की स्थिति क्या है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि यह भी बताएं कि किन-किन लोगों की मौत हुई है।
वकील शिव कुमार त्रिपाठी ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा था कि जिस तरीके से किसानों को टारगेट किया गया है, उसमें कोर्ट को दखल देना ही चाहिए। पत्र याचिका में कहा गया है कि कोर्ट समयबद्ध जांच का आदेश दे। पत्र याचिका में सीबीआई को जांच में शामिल करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि लखीमपुर खीरी की घटना राज्य की कानून-व्यवस्था को दर्शाती है। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार मृतकों को जीवन की गारंटी के अधिकार को संरक्षित करने में असफल रही है।
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उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में दर्ज एफआईआर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा को आरोपित बनाया गया है। आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उसकी गाड़ी से कुचलकर चार लोगों को मार दिया गया। इस मामले में राजनीति गर्मा गई है और विपक्षी दलों के