सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव के कोरोना के इलाज में एलोपैथी को लेकर दिए गए विवादस्पद बयान के चलते विभिन्न राज्यों में दर्ज हुई एफआईआर पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने बाबा रामदेव को एलोपैथी पर दिए गए अपने मूल बयान की वीडियो और ट्रांसक्रिप्ट कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 5 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव ने की है मांग
बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट से देश के अलग-अलग हिस्सों में दर्ज एफआईआर को एक साथ क्लब करने की मांग की है। इसके साथ ही बाबा रामदेव ने आईएमए की पटना और रायपुर ब्रांच की ओर से दर्ज एफआईआर को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है। रायपुर में बाबा रामदेव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 269 और 504 के तहत केस दर्ज किया गया है।
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आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने अपनी शिकायत में कहा है कि रामदेव ने गलत जानकारी फैलाई है। आईएमए का आरोप है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बाबा रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के प्रति आम लोगों के मन में भ्रम पैदा किया है और अविश्वास बढ़ाया है। इससे डॉक्टरों की भावनाएं आहत हुईं।
गौरतलब है कि बाबा रामदेव के कथित बयान से देश में एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस शुरू हो गई थी। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा टिप्पणी को ‘अनुचित’ करार दिए जाने और पत्र लिखने के बाद बाबा रामदेव ने 23 मई को अपना बयान वापस ले लिया था।