राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले वर्ष हुई हिंसा की वजह से देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे पत्रकार विनोद दुआ को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। दरअसल, पत्रकार विनोद दुआ के ख़िलाफ़ हिमाचल प्रदेश में देशद्रोह की एफ़आईआर दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि देशद्रोह के एफआईआर को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही शीर्षतम अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों से सुरक्षा के लिए हर पत्रकार हकदार है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक साल बाद सुनाया फैसला
दरअसल, पिछले वर्ष एक स्थानीय बीजेपी नेता ने दिल्ली दंगे पर विनोद दुआ के खिलाफ उनके यूट्यूब शो को लेकर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज कराया था। एफ़आईआर में उनपर फ़ेक न्यूज़ फैलाने, सार्वजनिक उपद्रव फैलाने, मानहानि वाली सामग्री छापने और सार्वजनिक रूप से ग़लत बयान देने का आरोप लगाया गया था। इस एफ़आईआर के ख़िलाफ़ ही विनोद दुआ सुप्रीम कोर्ट में गए थे।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस यूयू ललित और विनीत सरन की पीठ ने पिछले वर्ष अक्टूबर में ही इस मामले पर सुनवाई पूरी कर ली थी, अदालत ने याचिकाकर्ता विनोद दुआ, हिमाचल प्रदेश सरकार और एफ़आईआर दर्ज कराने वाले बीजेपी नेता की दलीलें सुनी गई थीं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला भी सुरक्षित कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने पिछले फ़ैसले का हवाला देते हुए कहा कि हर पत्रकार ऐसे आरोपों से सुरक्षित होने के हकदार हैं। न्यायाधीशों ने कहा कि देशद्रोह पर केदार नाथ सिंह के फ़ैसले के तहत हर पत्रकार सुरक्षा का हकदार होगा।’
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इस मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उस एफ़आईआर को तो रद्द किया ही, इसके साथ ही विनोद दुआ की उस मांग को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने मांग की थी कि 10 साल से ज़्यादा अनुभव वाले किसी भी पत्रकार पर तब तक एफ़आईआर दर्ज नहीं की जाए जबतक हाईकोर्ट जज के नेतृत्व वाले पैनल से इसके लिए सहमति नहीं ली गई हो।