कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को आज 48 दिन हो चुके हैं। इन 48 दिनों में सरकार और किसानों के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं निकल सका है। हालात यह हो चुके हैं कि अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ रहा है। दरअसल, कृषि कानूनों को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान शीर्षतम अदालत के रवैये ने किसानों को बड़ी राहत दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को लगाई फटकार
दरअसल, कृषि कानूनों के खिलाफ अदालत में दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आप बताइए कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं, नहीं तो हम लगा देंगे।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है हम उससे खुश नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमें नहीं पता सरकार इस मसले को कैसे हल कर रही है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह पूछा कि कानून बनाने से पहले किससे चर्चा की, कई बार से कहते आ रहे हैं कि बात हो रही, क्या बात हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट के इस बयान पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून से पहले माहिरीन की कमेटी बनाई गई। कई लोगों से चर्चा हुई थी। पहले की सरकारें भी इस दिशा में कोशिश कर रही थीं। अटॉर्नी जनरल के इस जवाब पर सीजेआई ने कहा कि यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकार ने इसे शुरू कर दिया था। आपने कोर्ट को बहुत अजीब हालत में डाल दिया है। लोग कह रहा हैं कि हमें क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं सुनना चाहिए लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं कि हल निकले। अगर आप में समझ है तो कानून के अमल पर जोर मत दीजिए। फिर बात शुरू कीजिए, हमने भी रिसर्च किया है और एक कमेटी बनाना चाहते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि अदालत किसी भी शहरी को ये हुक्म नहीं दे सकता कि आप प्रोटेस्ट न करें। हां, यह जरूर कह सकता कि आप इस जगह प्रोटेस्ट करें। अगर कुछ घटित होता है तो उसके जिम्मेदार सब होंगे। हम नहीं चाहते कि हमारे हाथ रक्त रंजित न हो। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें लगता है कि जिस तरह से धरना प्रदर्शन पर हरकतें (ढोल-नगाड़ा वगैरा) हो रही है, उसे देख कर लगता है एक दिन यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ घटित हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हालात खराब हो रहे हैं और किसान खुदकुशी कर रहे हैं। वहां पानी की सहूलत नहीं है, बुनियादी सहूलियात नहीं है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है। किसान तंज़ीमों से पूछना चाहता हूं कि आखिर इस ठंड में महिलाएं और बूढ़े लोग प्रोटेस्ट में क्यों है? किसान संगठन के वकील एपी सिंह ने कुछ कहने की कोशिश की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठन के वकील एपी सिंह को फटकार लगाते हुए कहा की आपको विश्वास हो या नहीं हम सुप्रीम कोर्ट हैं।