कृषि कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले आंदोलित किसान अपनी मांगों पर अटल नजर आ रहे हैं। किसानों के इस देशव्यापी आंदोलन ने केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार तक को हिला कर रख दिया है। हालांकि, अब किसान आंदोलन में दरार पड़ती नजर आ रही है। इस दरार की वजह राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह का वह बयान है, जिसने आंदोलन में फूट डाल दिया है। दरअसल, ऑल इंडिया किसान संघर्ष कमेटी ने वीएम सिंह के बयान से दरकिनार कर लिया है।

किसान आंदोलन को लेकर वीएम सिंह ने दिया था यह बयान
आपको बता दें कि राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक सरदार वीएम सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद को अलग करते हुए सरकार से बातचीत करने पर रजामंदी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि बाकी किसान संगठन सरकार से बातचीत करें या ना करें पर हम बातचीत के लिए तैयार हैं। हमारी मुख्य मांग MSP गारंटी कानून है। अन्य मुद्दों पर सरकार के साथ बातचीत में चर्चा की जाएगी।
वीएम सिंह के इस बयान ने किसान आंदोलन में एकत्रित हुए किसान संगठनों के बीच में फूट डालने का काम किया है। ऑल इंडिया किसान संघर्ष कमेटी ने उनके इस बयान से खुद को अलग कर लिया है। साथ ही निंदा भी की है।
कमेटी का कहना है कि सिंह के बयान का ऑल इंडिया किसान संघर्ष कमेटी समर्थन नहीं करती है। सिंह का बयान कार्य समिति के मानकों का पालन नहीं करता है। कमेटी की कार्य समिति अभी भी अपने इस फैसले पर कायम है कि 3 कृषि कानून वापस लिए बिना और MSP की गारंटी के ऐलान के बिना सरकार से बातचीत नहीं की जाएगी। यह तीनों कानून विचारणीय हैं ही नहीं।
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ऑल इंडिया किसान संघर्ष कमेटी ने कहा कि इस किसान आंदोलन में किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। बिना कानून वापस लिए सरकार के साथ बातचीत की कोशिश इस ऐतिहासिक आंदोलन के साथ धोखा देने जैसी होगी। कमेटी देश के सभी किसानों से अपील करती है कि सभी किसान और किसान नेता एकजुट होकर इस आंदोलन का साथ दें। किसान विरोधी सरकार की आंदोलन को बांटने और कमजोर करने की कोशिश का शिकार ना बनें।
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