अफगानिस्तान पर कट्टरपंथी संगठन तालिबान का कब्जा होने के बाद जहां भारत सरकार वहां फंसे भारतीयों को वापस भारत में लाने की जद्दोजहद में लगी है। वहीं, देश के ही कुछ नेता और कुछ संगठन तालिबान का समर्थन करते नजर आ रहे हैं। जी हां, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने तालिबान के समर्थन में बयान दिया है। इसके अलावा पीस पार्टी ने भी तालिबान का समर्थन किया है।
सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने किया तालिबान का समर्थन
दरअसल, सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने अपने एक बयान में अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा किये गए कब्जे को सही करार दिया है। उन्होंने अपने इस बयान में इस जंग को आजादी की लड़ाई करार दिया है।
सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का कहना है कि अफगानिस्तान की आजादी अफगानिस्तान का अपना मामला है। अफगानिस्तान में अमेरिका की हुक्मरानी क्यों? उन्होंने कहा कि तालिबान वहां की ताकत है। अमेरिका, रूस के तालिबान ने पैर नहीं जमने दिए। तालिबान की अगुवाई में अफगान आजादी चाहते हैं। भारत में भी अंग्रेजों से पूरे देश ने लड़ाई लड़ी थी। रहा सवाल हिंदुस्तान का तो यहां कोई कब्जा करने अगर आएगा उससे लड़ने को देश मजबूत है।
वहीं, पीस पार्टी ने भी तालिबान का समर्थन किया है। पीस पार्टी के प्रवक्ता शादाब चौहान ने कहा कि जब अमेरिका और तालिबान की पीस डील हो रही थी तो भारत का प्रतिनिधि वहां मौजूद था। जब भारत सरकार ने उस पीस डील का विरोध नहीं किया तो हम क्यों अपने पड़ोसी देश में बनने वाली सरकार से दुश्मनी लें।
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बता दें कि बीते 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी तालिबान पर कब्जा कर लिया है। इस कब्जे के साथ ही अफगानिस्तान के अधिकतक हिस्से पर तालिबान का अधिपत्य स्थापित हो गया। उधर, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भी अपने कुछ सलाहकारों से साथ देश छोड़कर भाग गए। बताया जा रहा है कि बहुत जल्द तालिबान की ओर से नई सरकार को लेकर घोषणा की जा सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि मुल्ला बरादर को अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति घोषित किया जाएगा।