उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ योगी सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर तैयार किये जा रहे मसौदे को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इसी क्रम में सपा विधायक ने इकबाल महमूद ने एक ऐसा बयान दे डाला है जिसने इस सियासी हलचल को और गति प्रदान की है। दरअसल, जनसंख्या नियंत्रण संबंधी मसौदे को लेकर सपा विधायक ने बढती जनसंख्या के लिए दलित और आदिवासियों को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि योगी सरकार जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिये एक कानून लाने पर विचार कर रही है।
जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून तैयार कर रही योगी सरकार
इकबाल महमूद ने योगी सरकार द्वारा जनसंख्या वृद्धि अंकुश लगाने के लिए बनाए जा रहे कानून पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि यह कानून जनसंख्या की आड़ में मुसलमानों पर वार है। बीजेपी के लोग अगर समझते हैं कि देश में सिर्फ मुसलमानों की तादाद बढ़ रही है तो यह कानून संसद के अंदर आना चाहिए था ताकि यह पूरे देश में लागू होता। यह उत्तर प्रदेश में ही क्यों लाया जा रहा है? उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा आबादी दलितों और आदिवासियों के यहां बढ़ रही है, मुसलमानों के यहां नहीं। मुसलमान तो अब समझ गये हैं कि दो-तीन बच्चों से ज्यादा नहीं होने चाहिए।
सपा विधायक ने कहा कि इस कानून का नतीजा भी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) जैसा ही होगा। इसी तरह, असम में एनआरसी का असर मुसलमानों पर कम और गैर मुस्लिमों पर ज्यादा पड़ा। विधायक ने कहा कि जनसंख्या कानून का भी यही हश्र होगा। यह समझ में नहीं आता कि योगी सरकार का महज सात महीने का कार्यकाल बचा है, ऐसे में जनसंख्या कानून पर बात क्यों की जा रही है?
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की बढ़ती आबादी पर अंकुश लगाने के लिये राज्य का विधि आयोग एक कानून के मसौदे पर विचार कर रहा है। आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल के मुताबिक, राज्य की जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने के लिये आयोग ने कानून के प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है। यह मसौदा दो महीने के अंदर तैयार करके राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव के दायरे में बहुविवाह और अन्य विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए विचार किया जा रहा है। यह आयोग की तरफ से महज सुझाव होंगे। यह सरकार पर है कि वह इन्हें मानती है या नहीं।