भक्ति भाव से बोले ‘भो’, भोलेनाथ दे देते हैं वरदान : डॉ. रागिनी

  • डॉ. रागिनी मिश्रा ने श्रीमद्भागवत कथा में सुनाया महादेव की सरलता का संदेश
  •  भोलेनाथ की भक्ति में डूबे बहोरापुर के ग्रामीण
  • लकड़ी की लकड़ी के घर्षण से अग्नि देव बालक स्वरूप यज्ञशाला में कराया गया उत्पन्न

नगरा (बलिया)। पिपरा पट्टी बहोरापुर गांव में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा एवं पंचकुंडीय रुद्र महायज्ञ के तीसरे दिन रविवार की संध्या भक्ति रस में डूबी रही। कथा मंच पर जैसे ही मानस मंदाकिनी रागिनी सरस्वती (डॉ. रागिनी मिश्रा) ने कथा प्रवचन का शुभारंभ किया, वैसे ही श्रोता भावविभोर हो उठे। उनके मधुर स्वर, सधी हुई वाणी और शास्त्रीय शैली में किए गए भावपूर्ण व्याख्यान ने पूरे वातावरण को अलौकिक बना दिया।

डॉ. रागिनी ने भगवान शंकर की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भोलेनाथ केवल देवों के देव नहीं, बल्कि सभी जीवों के हितैषी हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव इतने दयालु हैं कि यदि कोई भक्त सच्चे हृदय से ‘भो’ शब्द तक कह दे, तो वे तुरंत कृपा कर देते हैं। उनका स्वभाव सरल, सुलभ और निष्कपट है। वे भक्त के भाव से बंध जाते हैं, न कि उसकी वाणी या वैभव से।

कथावाचक ने पुराणों और दार्शनिक ग्रंथों के उदाहरणों द्वारा शिव की उदारता और त्यागमयी वृत्ति को व्याख्यायित किया। उन्होंने कहा कि शिव परिवार का प्रत्येक अंश माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी मानव जीवन के कर्तव्य, तप और समर्पण के प्रतीक हैं। भक्ति और ज्ञान का संगम कराते हुए उन्होंने श्रोताओं को संदेश दिया कि शिव केवल पूजन के देव नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला हैं। जो व्यक्ति क्षमाशील, त्यागी और निष्कपट है, उसमें स्वयं शिव का वास होता है।

डॉ. रागिनी की सजीव कथा शैली, उनके भावपूर्ण गायन और शास्त्रीय प्रस्तुति ने श्रोताओं को देर रात तक मंत्रमुग्ध रखा। प्रातःकाल यज्ञशाला में पूजन हुआ। उसके पश्चात बुढ़वा शिव मंदिर पर रुद्राभिषेक का कार्यक्रम संपन्न हुआ। यज्ञशाला के मध्य रितेश मिश्रा जी महाराज ने अरणी मंथन का कार्यक्रम कराया। आचार्य विवेक शुक्ल नव्यव्याकरणचार्य एवं उनके सहयोगी ब्राह्मण द्वारा विधि पूर्वक मंत्रोचार के बीच पूरे गांव के समक्ष लकड़ी से लकड़ी के घर्षण से अग्नि देव बालक स्वरूप यज्ञशाला में उत्पन्न कराया गया। इस दौरान पूरे गांव के लोगों में भक्ति और उत्साह देखने को मिला।