पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी कुनबे के सपा में शामिल होने पर योगी सरकार के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि समाजवादी पार्टी के मूल में ही माफ़ियावाद, अराजकतावाद, अपराधवाद और भ्रष्टाचारवाद शामिल है। जो गुण मूल में होते हैं, वह बदलते नहीं हैं। यही कारण है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपनी पार्टी की पुरानी परिपाटी के मुताबिक अपराधी व माफिया ही पसंद हैं। वास्तव में समाजवादी पार्टी का नाम माफियावादी पार्टी हो जाना चाहिए।
प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि हरिशंकर तिवारी और उनके कुनबे के इतिहास और कारनामों से जनता भली-भांति वाकिफ है। पूर्वांचल में इस परिवार के आवास को जिस “हाता” के नाम से जाना जाता है, उसे लोग अपराध की नर्सरी भी समझते रहे हैं। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के पहले तक यह परिवार गोरखपुर और आसपास के जिलों में सत्ता संरक्षित अपराध उद्योग का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हुआ करता था। सरकारी ठेकों में हस्तक्षेप से कमाई भी इनका धंधा था। योगी सरकार में अन्य माफिया की तरह अब इनकी भी हेकड़ी गुम है।
पाठक ने कहा कि पूर्व में इस कुनबे की तरफ से किए गए एक बड़े बैंक घोटाले का खुलासा इस सरकार में हुआ है। उस पर कानून अपना काम कर रहा है। बैंक ऑफ इंडिया समूह के 750 करोड़ रुपये समेत अलग-अलग बैंकों से लोन के नाम पर 1100 करोड़ रुपये गटक जाने वाले इस परिवार की कम्पनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी हो चुकी है। दोनों केंद्रीय संस्थाओं की तरफ से विधायक विनय शंकर तिवारी समेत पूरे परिवार के खिलाफ धोखाधड़ी व मनी लॉन्ड्रिंग मुकदमा दर्ज किया गया है। उसकी जांच जारी भी है। कानून मंत्री ने कहा कि अपने इन कारनामों को छिपाने के लिए यह माफिया चाहे किसी भी दल में जाकर पनाह मांगें, केंद्र व यूपी सरकार किसी भी अपराधी को जनता की गाढ़ी कमाई हड़पने नहीं देगी।
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अखिलेश द्वारा हर बात में श्रेय लेने की आदत पर ब्रजेश पाठक ने कहा कि पार्टी का नाम ही नहीं, अखिलेश को भी अपना नाम बदल कर श्रेय यादव रख लेना चाहिए। पाठक ने कहा कि 2017 में जनता ने नकार दिया। आज की उनकी स्थिति पर तरस आता है। अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी जैसे माफिया की पैरवी करने वाले अखिलेश अपराधियों पर योगी सरकार की सख्ती से सबक लेने की बजाय पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ माफियाओं को अपना हमराह बना रहे हैं। हमारी सरकार माफिया पर नकेल कस रही है। दूसरी तरफ माफ़ियावादी पार्टी को दोबारा सबक सिखाने के लिए जनता बेकरार है। आगामी विधानसभा चुनाव के पहले माफिया की फौज खड़ी कर अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं। उन्हें एकबार 2017 का चुनाव परिणाम भी याद कर लेना चाहिए जब उनकी सरकार द्वारा पोषित माफियागिरी से त्रस्त होकर जनता ने उन्हें कुर्सी से उठाकर फेंक दिया था। जनता को 2017 से योगी सरकार में अपराध व गुंडागर्दी से मुक्ति मिली है। ऐसे में अखिलेश लाख माफिया-अपराधियों को अपनी साइकिल पर बैठा लें, माफ़ियावादी सरकार बनाने की उनकी मंशा पूरी नहीं होने वाली।