विंध्य पर्वत पर पीपीपी मॉडल पर बना पूर्वांचल का पहला रोप-वे रोमांच और पर्यटन की नई संभावनाओं के द्वार खोलने वाला साबित हो रहा है। सुंदरता के अद्भुत नजाराें के साथ रोप-वे पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। नववर्ष पर छूट के साथ रोप-वे पर्यटकों को खूब लुभाएगा। पर्यटन को भी नई उड़ान मिलेगी।
विंध्यधाम की महत्ता और मान्यता किसी से छिपी नहीं है। विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी के दर्शन के बहाने देश के कोने-काेने से श्रद्धालु विंध्यधाम आते हैं। हरियाली ओढ़े पहाड़ व प्राकृतिक सौंदर्य बरबस ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। अभी तक विंध्य पर्वत के खूबसूरत व रोमांचित दृश्य को देख पाना संभव नहीं था, लेकिन अब रोप-वे शुरू होने से पर्यटकों की आमद बढ़ने लगी है। पर्यटक रोप-वे की सवारी कर विंध्य-गंगा के साथ ही मनोरम दृश्य का आनंद लेते हैं।
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पहाड़ी झरनों, गुफाओं, कंदराओं, आश्रम, पत्थर काटकर बनाई गई सीढिय़ां, घने जंगल व मंदिरों को ऊंचाई से देखना रोमांचित करने जैसा अनुभव है। देश भर से विंध्यधाम आने वाले पर्यटकों का रुझान रोप-वे पर बढ़ा है। रोप-वे संचालन शुरू होने से अब तक एक लाख पांच हजार 112 पर्यटक रोप-वे का लुत्फ उठा चुके हैं। एक अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोप-वे का उद्घाटन किया था। रोप-वे का टिकट शुल्क अष्टभुजा से 75 तो कालीखोह से 50 रुपये है। नववर्ष पर पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को लुभाने के लिए तोहफा दिया है यानी नववर्ष पर पर्यटक 75 की जगह 50 व 50 की जगह 40 रुपये शुल्क देकर रोप-वे से सुहाना सफर कर सकेंगे। नववर्ष सर्द मौसम में आनंद लेने के साथ प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने का मौका होगा। ऐसे में नववर्ष पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ने की संभावना है। रोप-वे प्रभारी इंचार्ज संजय चतुर्वेदी ने बताया कि नववर्ष पर पर्यटकों के लिए टिकट शुल्क में छूट दिया गया है। इसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है। रोप-वे पर अष्टभुजा के लिए छह तो कालीखोह के लिए दो केबिन लगाया गया है। एक केबिन में चार लोगों के बैठने की व्यवस्था है। सुरक्षा की दृष्टि से आटोमैटिक गेट लगाए गए हैं।